Thursday, June 19, 2025
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देश का मानसून ट्रैकर: UP-बिहार के 33 जिलों में बाढ़; असम में तापमान 45º, हीटवेव के चलते स्कूल बंद; राजस्थान से मानसून की विदाई शुरू


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नई दिल्ली1 मिनट पहले

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उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। कानपुर में पांडू नदी का पानी 13 गांवों में घुस गया है। इससे 15 हजार लोग प्रभावित हैं। एक हजार बीघा फसलें बर्बाद हो गई हैं। लोगों के घरों में 2 फीट पानी भरा हुआ है।

उधर, बिहार में भी इन 12 जिलों में 12.67 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। भागलपुर और मुंगेर में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। मुंगेर में सोमवार देर रात 2 छात्र बाढ़ के पानी में बह गए।

असम के गुवाहाटी में हीटवेव के चलते 4 दिन तक स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है। यहां तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है। हालांकि मौसम विभाग ने आज यहां बारिश का भी अलर्ट जारी किया है।

देश में मानसून अंतिम चरण में पहुंच गया है। राजस्थान के ‎अनूपगढ़, बीकानेर, जोधपुर और गुजरात के भुज और द्वारका से मानसून की विदाई भी शुरू हो गई है। इन इलाकों में 15 दिन से बारिश नहीं‎ हुई है।

सबसे ज्यादा बारिश वाले मेंघालय में तापमान 33.1 डिग्री

  • मेघालय में दुनिया ‎‎की दो सबसे ज्यादा बारिश वाली ‎‎जगह मौसिनराम और चेरापूंजी हैं। ‎इस बार मानसून सीजन में यहां ‎कोटा भी पूरा नहीं हो पाया। अगले‎ कुछ साल में यहां तेज गर्मी पड़ने ‎लगेगी और बारिश कम हो जाएगी।‎
  • चेरापूंजी ‎में पहली बार तापमान 33.1 डिग्री ‎से ज्यादा है, जो औसत 23 डिग्री ‎‎रहता था। यहां मानसून के चार‎ महीनों में 11 हजार मिमी बारिश ‎‎रिकॉर्ड होती थी, जो घटकर 9712 ‎‎मिमी पर आ गई है। हर साल 27 ‎‎मिमी बारिश घट रही है।
  • यही हाल मौसिनराम का है। यहां ‎982 3.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई, ‎जो 2020 में 10,123 मिमी थी। बारिश लगातार घटी है। तापमान‎ बढ़कर 27 डिग्री हो गया है, जो‎ मानसून में सबसे ज्यादा है। ‎मेघालय में बीते पांच साल से‎बारिश 15% घट गई है।‎

देशभर से बारिश की 4 फोटोज…

कानपुर में बिठूर में 13 गांवों में 6 फीट तक पानी भरा है। घर में गृहस्थी का सामान डूब गया है।

कानपुर में बिठूर में 13 गांवों में 6 फीट तक पानी भरा है। घर में गृहस्थी का सामान डूब गया है।

MP के नेपानगर में एक वाहन नाले में बह गया। लोगों और पुलिस की मदद से बाहर निकाला गया।

MP के नेपानगर में एक वाहन नाले में बह गया। लोगों और पुलिस की मदद से बाहर निकाला गया।

मुंगेर के बरियारपुर में एक पुल बह गया। इस पुल से होकर करीब 80 हजार की आबादी आना-जाना करती थी।

मुंगेर के बरियारपुर में एक पुल बह गया। इस पुल से होकर करीब 80 हजार की आबादी आना-जाना करती थी।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में सोमवार को तेज बारिश हुई। सड़कों पर पानी भरने से लोगों को आने जाने में परेशानी हुई।

तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में सोमवार को तेज बारिश हुई। सड़कों पर पानी भरने से लोगों को आने जाने में परेशानी हुई।

25 सितंबर को 4 राज्यों में 12 सेमी बारिश का अलर्ट

  • मौसम विभाग के मुताबिक, कोंकण-गोवा में भारी से बहुत भारी (20 सेमी से ज्यादा) बारिश हो सकती है।
  • असम, मेघालय, मध्य महाराष्ट्र और गुजरात में 12 सेमी से ज्यादा बारिश का अनुमान है।
  • उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के विदर्भ, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा तटीय कर्नाटक और महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में 7 सेमी बारिश हो सकती है।

मेघालय के ‎चेरापूंजी में गर्मी बढ़ेगी, बारिश थमेगी‎

  • मौसम विज्ञानी डॉ. प्रथमेश‎‎ हाजरा के मुताबिक, चेरापूंजी‎‎ और मौवसिनराम में जुलाई से ‎‎सितंबर के बीच औसत‎‎ तापमान 23 डिग्री रहता है।
  • ‎‎मेघालय के वरिष्ठ ‎‎पर्यावरणविद एम. खोंगताव ने‎‎ बताया कि झूम की खेती और‎‎बड़े पैमानों पर जंगल की‎‎ कटाई ने ग्लोबल वार्मिंग के‎‎ प्रभावों को जल्दी सक्रिय कर‎‎ दिया है।
  • अगले कुछ साल में‎‎ चेरापूंजी के लोग तेज गर्मी‎और सर्दी के सूखे सीजन में पानी की किल्लत देखेंगे। बीते गर्मियों में भी‎यहां पीने के पानी का बड़ा संकट हुआ था।‎

अरुणाचल के कोलोरियांग सबसे भीगा,‎ पर बारिश नहीं मापी गई अरुणाचल में तिब्बत सीमा ‎से सटे कुरुंग कुमे जिले का‎ कोलोरियांग सबसे भीगा इलाका ‎माना जा रहा है। यहां 10 माह से ‎लगातार बारिश हो रही है, लेकिन ‎कितनी, यह नहीं पता, क्योंकि‎ बारिश का पैमाना मापने के लिए‎ यहां मौसम केंद्र या राडार नहीं है। ‎जिला परिषद के पूर्व प्रमुख संघ‎तागिक कहते हैं कि यहां माप होती‎ तो चेरापूंजी और मौसिनराम पांच‎ साल पहले पीछे छूट जाते।‎

जंगल साफ हो रहे, इसी से‎ प्राकृतिक आपदाएं‎

  • पेड़ों की कटाई से ‎ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव तेजी से‎ हो रहा है। इंडिया स्टेट ऑफ फारेस्ट रिपोर्ट‎ 2021 के मुताबिक 2019 से ‎2021 के बीच मेघालय में 73 ‎वर्ग किमी जंगल साफ कर दिए‎ गए। उसके बाद आंकड़ा देना ही‎ बंद हो गया। बारिश कम‎ होने के कारण ही अब पीने के ‎पानी की किल्लत होने लगी है।‎

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