Friday, April 18, 2025
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देश के सभी पंचांगों की होगी समरूपता,BHU में हुई बैठक: CM के निर्देश पर तैयार की जा रही रूपरेखा,मई में बुलाया गया महत्वपूर्ण बैठक – Varanasi News


काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें काशी से प्रकाशित होने वाले पंचांगों के व्रत पर्वों की समरूपता पर चर्चा की गई। जिसमे चर्चा की गई कि एक तिथि एक त्योहार का नियम अब पूरे प्रदेश में लागू होगा।

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बनारस से प्रकाशित पंचांग के आधार पर ही प्रदेश के व्रत-पर्व और अवकाश का निर्धारण होगा। यह बैठक ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. शत्रुघ्न त्रिपाठी की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें विभिन्न पंचांगों के संपादक और विद्वान उपस्थित रहे।

एक तिथि एक त्योहार का नियम पूरे यूपी में होगा लागू

काशी के पंचांगों में एकरूपता के बाद अब प्रदेश के पंचांग की तिथियों को एक करने की तैयारी शुरू हो गई है। 2026 में पूरे प्रदेश के लिए एक तिथि एक त्योहार वाला पंचांग सामने आएगा। नवसंवत्सर पर इसे आम जनता के लिए लोकार्पित किया जाएगा। इससे प्रदेश के व्रत, पर्व, तिथि और त्योहारों के बीच होने वाला भेद भी दूर होगा। विनय पाण्डेय ने कहा प्रदेश का पंचांग तैयार करने के लिए काशी के विद्वानों के साथ ही प्रदेश के प्रमुख पंचांगकारों की टीम बनाई गई है। अगले वर्ष की कालगणना, तिथि, पर्व का सटीक निर्धारण करके एक तिथि एक त्योहार और एक पंचांग के सूत्र पर इसे तैयार किया जाएगा।

बीएचयू के ज्योतिषाचार्यों ने की बैठक,अगले माह पुनः जुटेंगे पंचांगों के संपादक।

प्रमुख त्योहारों की तिथि होगी एक

बैठक में वर्षारम्भ, वसंतिक नवरात्र, मेष संक्रांति, अक्षय तृतीया, गंगासप्तमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, दीपावली, होली, आदि प्रमुख व्रत पर्वों पर विस्तृत चर्चा की गई। सभी उपस्थित विद्वानों ने इन पर्वों के गणितीय और धर्मशास्त्रीय आधार पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया। हालांकि, कुछ गणितीय कार्य बाकी रहने के कारण बैठक के निर्णय को अंतिम रूप देने के लिए मई माह के पहले सप्ताह में फिर से बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

पंचांगों के संपादक होंगे शामिल

बैठक में श्री हृषिकेश पंचांग के संपादक विशाल उपाध्याय, महावीर पंचांग के संपादक डॉ. रामेश्वर ओझा, आदित्य पंचांग के संपादक डॉ. पारस नाथ ओझा, और अन्य कई विद्वान उपस्थित रहे। इसके साथ ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के शिक्षक और शोध छात्र भी बैठक में शामिल हुए। इस बैठक के माध्यम से काशी से प्रकाशित पंचांगों में व्रत पर्वों की एकरूपता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, जो समाज में धार्मिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में सहायक होंगे।



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