Wednesday, April 30, 2025
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देश को 5 बार सांसद, केंद्रीय मंत्री देने वाला गांव: जहां आज भी नेटवर्क नहीं, खंभे पर वाईफाई लटकाते है; मुश्किल में 2 हजार आबादी – Chhattisgarh News


छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले का दबेना गांव डिजिटल इंडिया से आज भी कोसों दूर है। यहां मोबाइल नेटवर्क की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। यह वही गांव है जिसने देश को 5 बार सांसद दिए। 1980 से 1996 तक अरविंद नेताम चार बार सांसद रहे और केंद्रीय कृषि मंत्री भी बने।

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2 हजार की आबादी वाले इस गांव में मोबाइल पर बात करने के लिए लोगों को पेड़ों या छत पर चढ़ना पड़ता है। ग्राहक सेवा केंद्र में काम करने वालों को वाईफाई डिवाइस को हाईमास्ट लाइट पोल पर लटकाना पड़ता है।

घंटों ऐसे ही खड़े होकर नेटवर्क का इंतजार करते है

घटों मोबाइल ऊपर लटकाए खड़े रहते है

गांव में पटवारी का मुख्यालय है। लेकिन सारे ऑनलाइन काम दूसरे गांवों में करने पड़ते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना का सर्वे चल रहा है। कर्मचारियों को फोटो अपलोड करने के लिए घंटों मोबाइल ऊपर लटकाए खड़े रहना पड़ता है।

नेटवर्क की समस्या से ग्रामीणों के सरकारी काम प्रभावित हो रहे हैं। छोटे-छोटे कामों के लिए उन्हें 10 किलोमीटर दूर नरहरपुर जाना पड़ता है।

इमरजेंसी में होती है परेशानी

सबसे बड़ी परेशानी इमरजेंसी स्थिति में होती है। बीमार और गर्भवती महिलाओं के लिए एम्बुलेंस बुलाना मुश्किल होता है। किसी को बुलाने के लिए उनके घर जाना पड़ता है। ग्रामीण कहते हैं कि ऐसी स्थिति में डिजिटल इंडिया का सपना पूरा नहीं हो सकता।

गांव में ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा तो है पर टावर नहीं

गांव में ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा तो है पर टावर नहीं

ऑनलाइन सेंटर भी ठप

विभिन्न परीक्षाओं और योजनाओं की प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है। गांव में नेट नहीं चलने से ऑनलाइन सेंटर भी नहीं चल पा रहे हैं। ऐसे में ऑनलाइन बैकिंग, बिजली के बिल जमा करने सहित अन्य जरूरी कार्य नहीं हो पा रहे है साथ ही युवाओं को रोजगार के अवसर भी नहीं मिल पा रहे है।

प्राइवेट कंपनियों के टावरों की कनेक्टिविटी नहीं

गांव लोगों को आपात स्थिति में परेशानी हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इन क्षेत्रों में लगे टावरों की कनेक्टिविटी बढ़ाई जानी चाहिए। क्षेत्र में लगे प्राइवेट कंपनियों के टावरों की कनेक्टिविटी नहीं होने से असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

कांकेर जिले का दबेना गांव

कांकेर जिले का दबेना गांव

सारी सुविधाएं लेकिन नेटवर्क नहीं

श्रवण बेसरा बताते है कि चाहे शिक्षा हो या स्वास्थ्य हो। यहां कई सरकारी ऑफिस है, हाईस्कूल है। हॉस्पिटल है, अधिकारियों का हेडक्वार्टर है। नेटवर्क नहीं होने के कारण कई चीजों का सामना करना पड़ रहा है। 21वीं सदी में कई अंदरूनी इलाकों में नेटवर्क तो हो गया लेकिन दबेना में अब तक ऐसी सुविधा नहीं मिली।

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