नई दिल्ली20 मिनट पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा
- कॉपी लिंक
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (CSE) की ‘स्टेट ऑफ एक्सट्रीम वेदर इन इंडिया 2024’ की रिपोर्ट सामने आई है।
इस साल के शुरुआती नौ महीनों के 274 दिनों में से 255 दिन देश में कहीं न कहीं एक्सट्रीम वेदर कंडीशन रही। मतलब ये कि या तो तेज गर्मी पड़ी या शीतलहर चली या भारी बारिश हुई या भयंकर सूखा पड़ा या कोई आंधी-तूफान आया।
इस एक्सट्रीम वेदर के चलते 3,238 मौतें हुईं। 32 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई और 2.36 लाख घर टूटे। पिछले साल इसी दौरान 235 एक्सट्रीम वेदर घटनाओं में 2,923 और 2022 में 241 एक्सट्रीम वेदर घटनाओं में 2,755 जानें गई थीं।
सबसे अधिक 176 एक्सट्रीम वेदर (बुरे मौसम) वाले दिन मध्य प्रदेश में दर्ज हुए। मौसमी घटनाओं से सबसे ज्यादा 550 लोगों की मौत केरल में हुई। आंध्र में सर्वाधिक 85,806 घर टूटे। महाराष्ट्र में फसलें सबसे ज्यादा बर्बाद हुईं, जो देशभर में फसलों को हुए कुल नुकसान का 60% है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट (CSE) की ‘स्टेट ऑफ एक्सट्रीम वेदर इन इंडिया 2024’ रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं। इसके मुताबिक, मध्य प्रदेश में एक्सट्रीम वेदर के दिन सबसे ज्यादा रहे। वहीं, UP-राजस्थान में फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ।
जानलेवा मौसम का देश पर असर…4 पॉइंट
- देश के 27 राज्यों में एक्सट्रीम वेदर की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले बढ़ीं। यूपी, कर्नाटक व केरल ऐसे राज्य रहे, जहां एक्सट्रीम वेदर के दिन बीते वर्षों की तुलना में 40 दिन से ज्यादा बढ़ गए। मप्र में पिछले साल के मुकाबले ऐसे 38 दिन बढ़े।
- सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि जो घटनाएं पहले सदियों में एकाध बार होती थीं, वे अब हर पांच साल में हो रही हैं। साल-दर-साल उनकी फ्रीक्वेंसी बढ़ रही है। समाज के सबसे संवेदनशील तबके को इसका सबसे अधिक असर अपनी जानमाल खोकर भुगतना पड़ता है।
- रिपोर्ट के मुताबिक, साल में हीटवेव की 77 घटनाएं हुईं और यह लगातार तीसरा साल रहा, जब हीटवेव गर्मी के एक मौसम में 50 दिन से ज्यादा चली।
- 2024 में जनवरी से सितंबर के बीच एक्सट्रीम वेदर की घटनाओं के दिन 2023 के मुकाबले 20 ज्यादा रहे। यही नहीं, फसलों का होने वाला नुकसान पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 13.6 लाख हेक्टेयर तक बढ़ गया।
प्राकृतिक आपदाएं…बिजली गिरने और आंधी की घटनाएं सबसे ज्यादा
- बिजली गिरना और आंधी: 274 में से 191 दिन बिजली गिरने की घटनाएं हुईंं। इनमें 1,021 लोगों की जान गई। सबसे अधिक 103 बिजली गिरने की घटनाओं में 188 लोगों की मृत्यु हुई। उत्तर प्रदेश में केवल 38 घटनाओं में 164 लोगों की, महाराष्ट्र में 76 घटनाओं में 100 और बिहार में महज 14 घटनाओं में 100 लोगों की मृत्यु हुई।
- बारिश-बाढ़-भूस्खलन: 274 में से 167 दिन भारी बारिश, बाढ़ व भूस्खलन की घटनाएं हुईं। इनमें 1,910 लोगों की जान गई। सबसे अधिक 107 घटनाएं केरल में हुईं, जिनमें 534 मौतें।
- हीटवेव: 77 दिन हीटवेव चली, जिनमें 210 लोगों की जान गई। सबसे ज्यादा 39 दिन हीटवेव की घटनाएं ओडिशा में हुईं, जिनमें 60 लोगों की जान गई। बिहार में 32 हीटवेव दिनोंं के दौरान 49 लोगों और उत्तर प्रदेश में 33 हीटवेव दिनों के दौरान 44 लोगों की मौत हुई। मप्र में 28 हीटवेव दिनों के दौरान 2 मौतें हुईं। मार्च से जून में सबसे अधिक 18 अत्यंत गर्म रातें मप्र-राजस्थान में दर्ज हुईं। यूपी में ऐसी 17 व हरियाणा में 14 रातें रहीं।
- कोल्डवेव: 38 दिन कोल्डवेव चली, जिनके चलते 6 मौतें हुईं। ये सभी मौतें बिहार में हुईं।
- बादल फटना: 2024 में बादल फटने की 14 घटनाएं हुई जिनमें 33 लोगों की जान गई। सबसे ज्यादा 12 घटनाओं में 30 घटनाएं हुईं।
- समुद्री तूफान: 7 घटनाओं में 57 जानें गईं।
—————————————-
मौसम से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
मानसून विदा… MP में10 साल में तीसरी बार सबसे ज्यादा बारिश, MP के 44 जिलों में 200 डैम फुल हए

मध्यप्रदेश से मानसून विदा हो चुका है। लेकिन छिंदवाड़ा, बैतूल में मानसून के बाद भी बारिश हुई है। पिछली बार मानसून सीजन में प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई, लेकिन इस बार लोगों को मानसून से ये शिकायत नहीं है। 44 जिलों में कोटे से ज्यादा बारिश हुई है। नतीजा ये रहा है कि सोयाबीन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 2 क्विंटल तक बढ़ सकता है। गेहूं और चने के किसान भी खुश हैं। पूरी खबर पढ़ें..,