जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में गीतकार और प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ दिया गया।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के दरबार हॉल में आज दैनिक भास्कर की ओर से 8वां ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ गीतकार और प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को दिया गया। उन्हें सम्मान में 2 लाख रुपए नकद और प्रशस्ति पत्र दिया गया।
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इसी दौरान किरकिरे के साथ एक टॉक शो हो रहा है। इसमें दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर एलपी पंत उनसे शब्दों और सुरों की जादुई यात्रा पर बातचीत कर रहे हैं। मालूम हो कि गीतकार स्वानंद किरकिरे ने ‘ओ री चिरैया’, ‘नवराई माझी’, ‘बावरा मन देखने’, ‘आल इज वेल’, ‘तू किसी रेल सी’ जैसे कई कालजयी गाने दिए हैं।
गीतकार और प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे सम्मान राशि के रूप में 2 लाख का चेक दिया गया। मंच पर दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत, मैनेजिंग एडिटर जगदीश शर्मा, बिजनेस हेड अभिषेक श्रीवास्तव, एडिटर मुकेश माथुर मौजूद रहे।
इतने बड़े अवॉर्ड से सम्मानित, गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं स्वानंद किरकिरे ने कहा- बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इतने बड़े अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। मेरे से पहले जिन लोगों को सम्मानित किया गया। उनकी लिस्ट में मुझे शामिल किया गया है। मैं बहुत खुश हूं।
स्वानंद किरकिरे ने कहा- मैं कोई गीतकार बनने नहीं चला था, बस मैं बनता चला गया। मैं जावेद अख्तर साहब का बहुत बड़ा फैन हूं। मुझे अमिताभ भट्टाचार्य का काम बहुत अच्छा लगता है। गुलजार साहब ने चांद को बहुत अलग-अलग तरीके से देखा, इसलिए मैं भी चांद को अलग-अलग तरीके से देखने का प्रयास करता हूं।
दैनिक भास्कर के नेशनल एडिटर लक्ष्मी प्रसाद पंत ने बताया- दैनिक भास्कर हर साल जेएलएफ में ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ समारोह आयोजित करता है। हम सभी जानते हैं कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में साहित्य की क्या बेचैनियां रहती हैं। इस बार हमने गीतकार व प्लेबैक सिंगर स्वानंद किरकिरे को ‘श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान’ दिया है।
2016 में हुई थी सम्मान की शुरुआत जेएलएफ के मंच से श्री द्वारका प्रसाद अग्रवाल सम्मान की शुरुआत 2016 में हुई थी। प्रभात रंजन, यतींद्र मिश्र, सत्य व्यास, दीपक रमोला, मनोज मुंतशिर शुक्ला, इरशाद कामिल और अमीश त्रिपाठी जैसे दिग्गजों को अब तक यह सम्मान दिया जा चुका है। दैनिक भास्कर ने हिंदी के लेखकों को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस सम्मान की शुरुआत की थी।