डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में सेवा अवधि में मृत हुए कर्मचारियों के आश्रित परिजन अनुकंपा नियुक्ति के लिए 15 साल से परेशान हैं। 80 आश्रितों को अनुकंपा की जरूरत है। वे लगातार विवि के अधिकारियों से मिलकर अपनी व्यथा बताते हैं परंतु दो दिन वेतन लेट हो
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उन्हें अनुकंपा नियुक्ति देने के झूठे आश्वासनों और लेटलतीफ प्रक्रिया के बीच विवि प्रशासन ने अब 192 अशैक्षणिक पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है। जिसके बाद अनुकंपा नियुक्ति की आस लगाए बैठे आश्रित चिंतित हो गए हैं। उनका कहना है कि इतने पद खाली हैं, तब अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा रही, जब ये पद भर जाएंगे तो यह बहाना बनाया जाएगा कि पद खाली ही नहीं हैं?
नगर निगम से ही सीख ले ले विवि प्रशासन
आश्रित शैलेंद्र आदिवासी का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन अनुकंपा नियुक्ति को लेकर हमारे साथ छलावा कर रहा है। जबकि उसे नगर निगम से सीख लेना चाहिए। जिन्होंने एक बार में ही सभी 20 आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देकर अनुकंपा के लंबित प्रकरण शून्य कर दिए। जबकि एक यह केंद्रीय विवि है, जहां वर्तमान में अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणाें की संख्या बढ़कर 80 हाे गई है। इनमें 2009 से लेकर अब तक के प्रकरण शामिल हैं। प्राेफेसर से लेकर पियून तक के आश्रितों के मामले लंबित हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है सेवानिवृत्त या दिवंगत हाेने के बाद विवि के अधिकारी और अन्य लाेग ही अपने सहकर्मियाें के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं।
हम योग्य हैं, जल्दी से हमारी भर्ती की जाए
आश्रित दीपेश रैकवार का कहना है कि विश्वविद्यालय ने जो पद विज्ञापित किए हैं, उनमें से कई ऐसे हैं, जिनमें हम योग्यता पूरी करते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन नैतिकता ही दिखाए और विवि के लिए समर्पित रहे हम आश्रितों के माता-पिता की जगह हमें अनुकंपा नियुक्ति दे। यह भारत सरकार की ही व्यस्था है।
हम कोई नई मांग नहीं रख रहे हैं। 2016 में तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी तिवारी के समय हुई 11 लोगों की अनुकंपा नियुक्ति को छोड़ दिया जाए तो विवि प्रशासन ने बीते 15 सालों में हमारी कभी भी सुध नहीं ली। अनुकंपा नियुक्ति को लेकर झूठे दावे होते हैं। इस बार भी जानबूझकर कई पदों में ऐसा अनुभव मांगा है कि हम फॉर्म न भर सकें।
न्याय नहीं मिला तो भर्ती के खिलाफ कोर्ट जाएंगे
विनय रैकवार का कहना है कि अनुकंपा नियुक्ति नहीं होने के कारण हम में से कई लोग ऐसे हैं, जो अनुकंपा नियुक्ति के इंतजार में ओवरएज तक हो गए। हम लोगों के साथ जानबूझकर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। न ही अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है न ही वैकल्पिक तौर पर आउटसोर्स पर रखा जा रहा है। ऐसे में अब हमने तय किया है कि 28 फरवरी तक हमें अनुकंपा नियुक्तियां नहीं दी गईं तो विवि द्वारा निकाली गई अशैक्षणिक पदों की भर्ती के विरुद्ध हम हाईकोर्ट भी जाएंगे। साथ ही सांसद, विधायकों से मिलकर भी अपनी व्यथा रखकर समर्थन मांगेंगे। मार्च में दिल्ली में भी धरना-प्रदर्शन की तैयारी हम सब कर रहे हैं।
10 दिन का कहा, 10 माह बाद भी कुछ नहीं किया
आश्रितों ने जब आवाज लगातार उठाई तो मार्च माह में विश्वविद्यालय ने अनुकंपा नियुक्ति की मेरिट सूची जारी की। इसमें दावा-आपत्ति के लिए 11 मार्च 2024 तक समय दिया। कहा गया कि ऐसा न होने की स्थिति में अनंतिम जानकारी को ही अंतिम मानते हुए कार्यवाही की जाएगी। हालांकि 10 माह गुजर जाने के बाद भी अब तक किसी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी है।
विज्ञापन से अनुकंपा नियुक्ति पर असर नहीं
अनुकंपा नियुक्ति प्रकरण जल्दी ही निस्तारित किए जा रहे हैं। अनुकंपा नियुक्ति के लिए नियमानुसार 5 प्रतिशत पद रिजर्व रहते हैं, जो पद विज्ञापित हैं, उनसे अनुकंपा नियुक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। – डॉ. विवेक जायसवाल, मीडिया अधिकारी, विवि