13 जनवरी से शुरू हो रहा है महाकुंभ मेला। इसके पहले अखाड़ों में रार शुरू हो गया।
एक तरफ सरकार महाकुंभ को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियों में जुटी है। देश विदेशों के श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारी की जा रही है, लेकिन वहीं साधु-संतों के बीच विवाद के चलते अखाड़ों में दो गुट हो गया है। यही कारण रहा गुरुवार को जमीन आवंटन को लेकर हुई बैठ
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इसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविंद्र पुरी व श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अध्यक्ष श्री महंत प्रेम गिरि की ओर से मेलाधिकारी विजय किरन आनंद को शिकायती पत्र भी दी गई है।
सबसे पहले जानते हैं क्या है पूरा मामला
दरअसल, कल (7 नवंबर) अखाड़ों के जमीन आवंटन के लिए मेला प्राधिकरण की ओर से मेला कार्यालय में सभी 13 अखाड़ों के पदाधिकारियाें की बैठक बुलाई गई थी। शाम को सभी पदाधिकारी बैठक में शामिल हुए थे। बैेठक शुरू होने के पहले कुछ साधु-संत मंत्रोच्चार कर रहे थे इसी बीच कुछ संतों ने विवाद कर लिया। हाथापाई जैसी स्थिति हुई लेकिन देखते ही देखते दो गुट आमने सामने हाे गए और जमकर लात-घूसे चले। मेला प्राधिकरण के अधिकारी बीचबचाव करते दिखे।
जानते हैं अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने क्या शिकायत की
परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने देर शाम मेलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा। उन्होंने लिखा, “बैठक में पूजा पाठ चल रही थी, मैं भी उसमें बैठा था। तभी निर्माेही अखाड़े के राजेंद्र दास व अन्य साधु मेरे पीछे आकर गाली गलौच करते हुए मुझे वहां से उठाने का प्रयास करने लगे। इसके बाद वह प्रेम गिरि के ऊपर हमला बोल दिए। मेलाधिकारी इसमें उचित कार्रवाई करें।”
राजेंद्र दास बोले.. प्रेम गिरि ने मुझे मारा
निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष राजेंद्र दास ने कहा, “जब भी कोई मेला होता है तो अखाड़े के पदाधिकारियों को बुलाया जाता है। लेकिन कुंभ में तीन बार से ऐसा हो रहा है कि पदाधिकारियों को न बुलाकर दूसरों को यहां बैठाया जाता है। जूना अखाड़े का रिकार्ड अच्छा नहीं है। इस अखाड़े के प्रेम गिरि ने मेरे ऊपर हमला किया है।”