मध्यप्रदेश की राजनीति में एक सबसे बड़े चौंकाने वाला घटनाक्रम मार्च 1985 में हुआ। अर्जुन सिंह 10 मार्च को मुख्यमंत्री बने किंतु अगले ही दिन उन्हें आश्चर्यजनक रूप से पंजाब का राज्यपाल बना दिया गया और 12 मार्च को घोषित किया गया कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्
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चुरहट लॉटरी कांड के कारण सिंह को देना , पड़ा इस्तीफा तो फिर वोरा को मिली जिम्मेदारी
बहरहाल, अर्जुन सिंह ने यह सोचा कि पंजाब से लौटकर आने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी वापस पाने के लिए एक सीधे सरल मोतीलाल वोरा को अपना उत्तराधिकारी बनाना ज्यादा व्यावहारिक है और हुआ भी यही। फरवरी 1988 में अर्जुन सिंह वापस आकर मुख्यमंत्री बन गए और फिर से एक बड़ी चौकाने वाली घटना के रूप में मोतीलाल वोरा को 14 फरवरी 1988 को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्री बना दिया गया। उन्हें अप्रैल 1988 में राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया था।
एक बार फिर भाग्य चक्र घूमा और जनवरी 1989 में अर्जुन सिंह को चुरहट लॉटरी कांड के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा तो मोतीलाल वोरा 25 जनवरी 1989 को फिर से मुख्यमंत्री बन गए। बहरहाल, दिसम्बर 1989 में उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा और श्यामाचरण शुक्ल मुख्यमंत्री बन गए।
इसके बाद वोरा को मई 1993 में उत्तरप्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया। बाद में छत्तीसगढ़ के हवाला कांड में नाम आने के कारण वोरा को मई 1996 में राज्यपाल पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद फिर उन्हें सत्ता में कोई पद नहीं मिला लेकिन वे 1998 में अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष बनाए गए जिस पद पर वे अंतिम समय तक बने रहे।
निजी बस कंपनी में नौकरी से की शुरुआत यह गौर करने की बात है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में मोतीलाल वोरा ने राजनांदगांव में एक निजी बस कंपनी में मामूली से पद पर नौकरी से अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया था। इसी दौरान वे नगर पालिका दुर्ग के पार्षद और रायपुर के कुछ प्रमुख समाचार पत्रों के संवाददाता भी बन गए। 1972 में वे दुर्ग से कांग्रेस टिकिट पर विधानसभा सदस्य चुन लिए गए। 1977 की घनघोर कांग्रेस विरोधी लहर में भी वे जीत गए थे।
बाद में वे मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम के उपाध्यक्ष बने और 1981 में अर्जुन सिंह के मंत्रिमंडल में शिक्षा राज्य मंत्री बने। 1983 में वे शिक्षा के कैबिनेट मंत्री बन गए। इसी दौरान उन्हें मध्यप्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष भी बना दिया गया था।
पार्षद से लेकर राज्यपाल तक बनने वाले अकेले नेता
दिलचस्प बात यह है कि मोतीलाल वोरा अत्यंत सामान्य पारिवारिक, शैक्षणिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से ऊपर उठकर पार्षद, विधायक मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष, शिक्षामंत्री और एकाधिक बार मुख्यमंत्री, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री तथा उत्तरप्रदेश जैसे जटिल राजनीति वाले राज्य के राज्यपाल बने। वे छत्तीसगढ़ के अकेले नेता ऐसे नेता थे जो पार्षद से लेकर राज्यपाल तक बने।