हथिनी माला ने खाना भी छोड़ दिया था।
पटना जू में 55 साल की हथिनी माला की रविवार को मौत हो गई है। वह पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार चल रही थी। पिछले कुछ समय से उसने खाना भी छोड़ दिया था। उसके पैरों में घाव, नाखून उखड़ना और चलने-फिरने में असमर्थता जैसी समस्याएं सामने आ रही थीं। जू
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इससे पहले शनिवार को संक्रमण से मादा गौर की मृत्यु हो गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार थिलेरियोसिस संक्रमण के कारण गौर की मौत हुई है। संक्रमण का इलाज 20 दिनों से चल रहा था।
पटना जू में खड़ी हथिनी माला।
जांच के लिए बरेली भेजा गया सैंपल
हालांकि, मौत के सटीक कारणों की विस्तृत जांच के लिए माला के विसरा सैंपल को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली भेजा गया है। माला के इलाज के लिए देश के टॉप हाथी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही थी। चिड़ियाघर आने वाले लोग 2003 तक हाथी सवारी किया करते थे। माला शांत स्वभाव की थी। इसपर सवारी करना लोग पसंद करते थे। बिना भय के लोगों को लेकर चिड़ियाघर भ्रमण किया करती थी। हाथी सवारी बंद होने के बाद उसे सोमवार को सप्ताहिक बंदी के दिन चिड़ियाघर में भ्रमण कराया जाता था।
7 साल की उम्र में आई थी पटना जू
माला को साल 1975 में मात्र 7 साल की उम्र में रेस्क्यू कर पटना लाया गया था। उसके बाद से वह पटना जू का एक हिस्सा बन गई। ठंड में उसे तेल मालिश दी जाती थी और गर्मियों में उसके लिए खास फव्वारे लगाए जाते थे। हाथी दिवस और अन्य विशेष अवसरों पर माला का खास स्वागत किया जाता था। अभी एक ही हथिनी पटना जू में मौजूद है, जिसका नाम लक्ष्मी है। वह 12 साल की उम्र में पटना जू आई थी।