हाल ही में प्रदेश की आर्थिक राजधानी में हजारों स्टूडेंट्स कड़ाके की ठंड में 4 दिन तक अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर डटे रहे। भर्ती परीक्षा संबंधी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अड़े स्टूडेंट्स ने जब आंदोलन तेज किया तो शासन-प्रशासन हरकत में आया। मांगें पू
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अगले दिन आंदोलनकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने राजधानी पहुंचकर ‘सरकार’ से मुलाकात की। इस प्रतिनिधिमंडल में एक सदस्य व्यापमं कांड में आरोपी है। मुलाकात की तस्वीरें सामने आने के बाद सवाल उठ रहा है कि ‘सरकार’ से कौन मिलने आ रहे है, अफसरों ने इसकी क्रॉस चेकिंग तक नहीं की।
दो लाख रुपए ले लिए, फिर भी नहीं बनाया अध्यक्ष विंध्य अंचल के एक जिले में सत्ताधारी दल में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में जमकर उगाही हुई। सुना है कि यहां एक नेता से जिले के शीर्ष नेताओं ने दो लाख रुपए ले लिए। लेकिन, उन्हें मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया, क्योंकि किसी और ने इससे ज्यादा चढ़ावा चढ़ा दिया।
अब दो लाख रुपए देने वाले नेताजी अपना पैसा वापस मांग रहे हैं और रकम वसूली करने वाले जिला संगठन के पदाधिकारी राशि लौटा नहीं रहे हैं। यह रकम यूपीआई और चेक के जरिए ली गई। लिहाजा सबूत के साथ ये मामला पार्टी के प्रदेश नेतृत्व तक पहुंच गया है।
अब प्रदेश नेतृत्व इस पर क्या एक्शन लेगा, ये तो वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो इस कांड से पार्टी संगठन की जमकर किरकिरी हो रही है।
अपना काम छोड़कर बाकी सब करते मास्साब सूबे के एक मंत्री ने अपने ही विभाग की पोल खोल दी। उन्होंने खुले मंच से कहा कि वे ऐसे करीब 500 मास्साब को जानते हैं जो स्कूल नहीं जाते, उन्होंने किराए पर अपनी जगह काम करने वाले लोग रखे हैं।
बात निकली तो दूर तक गई। विपक्ष ने फौरन सवाल उठा दिए कि जब मंत्री को सब जानकारी हैं तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं करते।
मंत्री के बयान के बाद अब विभागीय अफसर ऐसे मास्टर्स की लिस्ट तैयार करा रहे हैं, जो अपना मूल काम छोड़कर बाकी सब करते हैं। अंदर खाने की खबर ये है कि सरकार ऐसे सरकारी कैश पर ऐश करने वालों पर जल्द ही बड़ा एक्शन ले सकती है।

अफसर की घरेलू सामान की लिस्ट बनी आफत दो महीने पहले प्रमोट हुए वन महकमे के एक आला अधिकारी से इन दिनों भोपाल के वन विभाग के अफसर परेशान हैं। दरअसल, जिम्मेदार पद पर काबिज होने वाले ये आला अधिकारी हर महीने अपने घर के जरूरी सामान की लिस्ट अफसरों को थमा देते है।
भोपाल के अफसर इस लिस्ट को अधीनस्थ रेंजर्स तक पहुंचाकर साहब के बंगले में सामान पहुंचाने को कहते हैं। अब रेंजर्स को यह डिमांड पूरी करनी पड़ रही है।
इधर, सोशल मीडिया पर ढाई लाख रुपए तनख्वाह वाले वन विभाग के इस अधिकारी की डिमांड धीरे-धीरे सार्वजनिक होने लगी है।
मन की मुराद पूरी, फिर भी दीदी नाराज क्यों? दो नदियों के जुड़ने से एमपी का वो इलाका पानीदार हो जाएगा, जिसके माथे पर सूखे का कलंक लगा हुआ है। करीब चार दशक पहले जिन दीदी ने पावर में रहते इस प्रोजेक्ट के लिए पहल की थी, वह अब मूर्त रूप लेने जा रही है।
हाल ही में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में इस परियोजना की शुरुआत हुई है। बावजूद इसके दीदी नाराज हैं। सुना है कि दीदी इस प्रोजेक्ट से जुड़े अफसरों से खफा हैं। अफसरों के रवैये के चलते ये प्रोजेक्ट न सिर्फ सालों की देरी से शुरू हुआ, बल्कि इसकी लागत भी चार गुना बढ़ गई है।
हालांकि, प्रोग्राम के अगले ही दिन ‘सरकार’ दीदी से मिलने पहुंच गए। वैसे इस मुलाकात को आभार प्रदर्शन बताया गया।

जिससे वसूली होनी है, उसे ही बना दिया मुखिया मामला एक जिला शिक्षा अधिकारी की पोस्टिंग से जुड़ा है। स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों एक स्कूल के प्राचार्य को जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार सौंप दिया। लेकिन, इस प्राचार्य के खिलाफ स्कूल में पदस्थ रहने के दौरान आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे हैं। शासन ने उनसे वसूली के आदेश भी जारी किए हैं। ऐसे में उसी प्राचार्य को जिले का शिक्षा अधिकारी का प्रभार सौंप दिया गया। जिले में शिक्षा जगत से जुड़े लोग अब इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।
और अंत में…
फोटो फ्रेम में साथ दिखने वालों में कितना प्रेम विरोधी दल के बारे में कहा जाता है कि ये पार्टी गुटों में बंटी है। इसके लीडर कभी एक नहीं हो सकते। पार्टी में लीडरशिप चेंज हुई। सड़क से लेकर सदन तक यंग लीडरशिप का असर दिखने लगा।
दूसरी ओर ये खबर भी है कि तस्वीरों में साथ दिखने वाले इन युवा नेताओं के बीच वैचारिक रूप से समुद्र तटों जैसी दूरी है। युवा नेताओं के बीच अंदरुनी तौर पर बिल्कुल नहीं बन रही। हाल ही में पार्टी के नेशनल लीडर के साथ युवा नेताओं की तस्वीर सामने आई। विरोधियों ने तंज कसा कि तस्वीरों में साथ दिखने वाले तकलीफों में साथ होंगे, ये बड़ा सवाल है।