धनबाद, 13 जून 2025 — जिले में एफसीआईएल (फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और हर्ल (हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड) के बीच जलापूर्ति से संबंधित लंबित बिजली बिल विवाद के समाधान के लिए उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी आदित्य रंजन की अध्यक्षता में शुक्रवार को समाहरणालय में अहम बैठक आयोजित की गई।
बैठक में एफसीआईएल के यूनिट इंचार्ज ने बताया कि कंपनी ने अप्रैल 2003 से जुलाई 2019 तक जलापूर्ति योजना का लाभ उठाया और इस अवधि में उपभोक्ताओं से शुल्क भी वसूला गया। वहीं, अगस्त 2019 से जून 2022 तक संयंत्र के निर्माण व कमीशनिंग के दौरान हर्ल द्वारा पानी का उपयोग किया गया।उपायुक्त ने एफसीआईएल को निर्देश दिया कि वह अप्रैल 2003 से जुलाई 2019 तक की अवधि में उपभोक्ताओं से वसूली गई राशि का विस्तृत विवरण उपलब्ध कराएं। इसी प्रकार, हर्ल को निर्देशित किया गया कि वह अगस्त 2019 से जून 2022 तक जलापूर्ति उपयोग की विस्तृत जानकारी साझा करे।
झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को निर्देश दिया गया कि वह दोनों संस्थानों के लिए अलग-अलग बिजली बिल तैयार करे, ताकि माडा (मिन्स एंड मिनरल एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी) के ऊपर बकाया बिजली बिल का स्पष्ट और पारदर्शी भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।बैठक में नगर आयुक्त रवि राज शर्मा, बिजली वितरण निगम के महाप्रबंधक अशोक सिन्हा, विद्युत अधीक्षण अभियंता एस. कश्यप, हर्ल के चीफ मैनेजर (इलेक्ट्रिकल) ए.एस. महाना, एफसीआईएल यूनिट इंचार्ज विजय कुमार चौधरी समेत अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित थे।
इस बैठक को बकाया बिजली बिल विवाद के समाधान की दिशा में एक निर्णायक पहल माना जा रहा है, जिससे जिले में औद्योगिक व जलापूर्ति व्यवस्थाओं में पारदर्शिता और समन्वय की उम्मीद बढ़ी है।