छत्तीसगढ़ के धमतरी में शिक्षकों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश में काम कराए जाने का विरोध किया है। संयुक्त शिक्षक संघ के सदस्यों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। शिक्षकों का कहना है कि उन्हें अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह छुट्टियां दी जाएं।
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शिक्षकों ने बताया कि प्रशासन शनिवार के अवकाश के बदले ग्रीष्मकालीन छुट्टियों को निरस्त करने की बात कर रहा है। इस फैसले से वे सहमत नहीं हैं। शिक्षकों का कहना है कि वे पूरे साल काम करने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें भी अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह नियमित छुट्टियां मिलनी चाहिए। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में उचित निर्णय लिया जाए।
दरअसल, धमतरी जिले की संयुक्त शिक्षक संघ मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे। कलेक्टर को ग्रीष्मकालीन छुट्टियों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। एक मई 15 जून तक यानी 46 दिन का ग्रीष्मकालीन अवकाश शिक्षकों और छात्रों के लिए घोषित किया गया है। लेकिन हर साल अवकाश में कभी समर कैंप कभी प्रशिक्षण कभी विभागीय कार्यों में शिक्षकों संलग्न किया जाता है।
पालन न करने पर कठोर कार्रवाई और चेतावनी दी जाती है। जिसको अब शिक्षक नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। ग्रीष्मकालीन छुट्टी को निरस्त करने के एवज में अन्य कर्मचारियों की तरह शनिवार को छुट्टी देने की मांग कर किया गया। यह मामला अब गरमाने लगा है।
संयुक्त शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अमित महोबे ने बताया कि, हर साल गर्मी के दिनों में कोई ना कोई आदेश आता है। और शिक्षकों को विभागीय कार्यों पर लगा दिया जाता है। कार्य नहीं करने का बदनाम किया जाता है। जबकि मंत्रालय का स्पष्ट आदेश है कि 1 मई लेकर 15 जून तक बच्चों और शिक्षकों को अवकाश दिया जाता है।
जिला शिक्षा संघ ने मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार ग्रीष्म अवकाश नहीं देना चाहती तो शिक्षकों का ग्रीष्मकालीन अवकाश निरस्त कर दिया जाए। लेकिन जैसे सारे कार्यालय शनिवार को बंद किए जाते हैं। वैसे ही स्कूल बंद हो, साथ-साथ अन्य कर्मचारियों को को अर्जित अवकाश मिलते हैं, उसी अनुपात में शिक्षकों को भी अवकाश दिया जाए। जिसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से साल भर कार्य करने के लिए तैयार है।