धार जिला अस्पताल में आग से सुरक्षा के लिए फायर कंट्रोल सिस्टम की स्थापना का कार्य अधूरा पड़ा है। सरकारी अस्पतालों में आगजनी की घटनाओं को देखते हुए यह सिस्टम लगाया जा रहा था। अस्पताल के सभी वार्डों में पाइप लाइन बिछाने का काम पूरा हो चुका है। साथ ही अ
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लेकिन, बजट की कमी के कारण पानी का टैंक नहीं बन पाया है। टैंक के निर्माण के अभाव में फायर कंट्रोल सिस्टम को चालू नहीं किया जा सका है। इस प्रकार मरीजों की सुरक्षा से जुड़ी यह महत्वपूर्ण व्यवस्था अभी अधूरी है।
दरअसल, अस्पताल में फायर कंट्रोल सिस्टम के लिए 48 लाख रुपए मिले थे। इसमें पाइप लाइन सहित अन्य काम में यह पैसा खर्च हो चुका है। काम पूरा होने से पहले बजट कम पड़ गया। पानी के टैंक के लिए 6 लाख रुपए का रिवाइज्ड एस्टीमेट बनाकर भोपाल भेजा हैं, जिसकी स्वीकृति अभी तक नहीं मिली हैं।
आग लगने पर उसे बुझाने के लिए अभी अस्पताल के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है। वहीं नई हाई टेक्नोलॉजी के फायर कंट्रोल सिस्टम के चालू होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी। किन्हीं कारणों से आग लगती भी है तो चंद सैकंड में अस्पताल में अलार्म बजना शुरू होंगे। वहीं ऑटोमैटिक स्प्रिंकलर खुल जाएंगे और पानी के फव्वारे से आग पर पर तुरंत काबू पाया जाएगा।
अस्पताल में एसएनसीयू वार्ड, पीकू वार्ड, महिला मेडिकल वार्ड, पुरूष सर्जिकल वार्ड, ट्रॉमा सेंटर सहित अन्य वार्डों में पाइप लगाने से लेकर अर्लाम व स्प्रिंकलर लगाने का काम पूरा हो चुका है। अब टैंक का काम बाकी है। टैंक का काम होने से इसकी टेस्टिंग की जाएगी।
नपा को भी लिखा पत्र
जिला अस्पताल में प्रतिदिन सवा लाख लीटर पानी की खपत होती है। इसमें अस्पताल के पास पांच बोरिंग है। इसमें एक बोरिंग बंद हो चुका है। वहीं एक बोरिंग में रुक-रुक कर पानी आता है। अब तीन बोरिंग से पानी की आपूर्ति करने में ही प्रबंधन को दिक्कत आ रही है।
गर्मी के दिनों को देखते हुए अब पानी के टैंकरों का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा धार नगर पालिका को एक पत्र लिखा गया हैं, जिसमें दिलावरा लाइन से प्रतिदिन 50 लाख लीटर पानी की मांग की जा रही है।
सिविल सर्जन डॉ. मुकुंद बर्मन ने बताया
अस्पताल में लगाए जा रहे फायर कंट्रोल सिस्टम का लगभग 85 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है, शेष कार्य के लिए बजट कम पड़ गया है। इसके लिए रिवाइल्ड लेटर भेजा है। राशि मिलते ही टैंक सहित अन्य काम पूरा किए जाएंगे।