मानव तस्करी और असुरक्षित प्रवासन की चुनौतियों पर नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन द्वारा आयोजित इस एकदिवसीय कार्यक्रम में दक्षिण एशिया के 9 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
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कार्यक्रम में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मानव तस्करी पीड़ितों ने अपने अनुभव साझा किए। क्षेत्रीय प्रवासन नीतियों के समन्वय पर विशेष चर्चा हुई, जिसमें संयुक्त प्रयासों को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
मानव तस्करी के खिलाफ कड़े कदम की जरूरत
जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन के संस्थापक भुवन ऋभु ने मानव तस्करी को संगठित अपराध करार दिया। उन्होंने कहा कि इससे निपटने के लिए अपराधी गिरोहों के आर्थिक ढांचे को नष्ट करना होगा। साथ ही, उन्होंने वैश्विक रजिस्टर बनाने का सुझाव दिया, जिससे तस्करों पर कड़ी निगरानी रखी जा सके।
जागरूकता और सशक्तीकरण पर जोर
एनएचआरसी सदस्य और एनसीपीसीआर के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जागरूकता बढ़ाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए और समाज के हर वर्ग तक यह जागरूकता पहुंचनी चाहिए। इससे कमजोर वर्गों का सशक्तीकरण होगा और वे शोषण का शिकार होने से बच सकेंगे।