मोदी कैबिनेट ने देश में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो देशभर में चुनाव सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस प्रस्ताव की सिफारिश पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने की थी, जिसने मार्च 2023 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं और इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी संपन्न हों।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से इस प्रस्ताव की वकालत करते आ रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि चुनावों को पूरे पांच साल में सिर्फ तीन या चार महीने के भीतर संपन्न होना चाहिए, जिससे बाकी समय राजनीति से हटकर विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। साथ ही, इससे चुनाव प्रबंधन पर खर्च में भी कमी आएगी।
कोविंद समिति ने 62 राजनीतिक पार्टियों से इस मुद्दे पर संपर्क किया था, जिनमें से 32 ने इसका समर्थन किया, जबकि 15 पार्टियों ने विरोध किया। 15 पार्टियों ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
बीजेपी के सहयोगी दलों में जेडीयू और एलजेपी (आर) ने इसे समर्थन देते हुए कहा कि इससे समय और पैसे की बचत होगी। हालांकि, टीडीपी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। दूसरी ओर, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, सीपीएम, और बसपा जैसी 15 पार्टियों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
यह देखना दिलचस्प होगा कि यह प्रस्ताव आगे चलकर किस प्रकार लागू होता है और इससे देश के चुनावी तंत्र में क्या बदलाव आते हैं।