टीकमगढ़ शहर के नजरबाग मैदान में रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का निर्माण शुक्रवार को शुरू हो गया है। इस बार पुतलों के निर्माण को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई थी, क्योंकि कारीगरों को पिछले साल बनाए गए पुतलों की राशि का भुगतान 11 महीने बाद किया गया।
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पिछली तीन पीढ़ी से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाते चले आ रहे कारीगर शरद कसगर ने बताया कि हर साल महंगाई बढ़ती जा रही है। समय पर भुगतान भी नहीं मिलता। पुतले बनाने की लागत के अनुसार भुगतान नहीं होता है। पिछले साल 70 हजार रुपए में ठेका तय हुआ था। नगर पालिका के कहने पर रावण बना दिया था, भुगतान के लिए नगर पालिका के चक्कर काटने पड़े। इस तरह 11 महीने गुजर गए। अभी कुछ दिनों पहले ही 60 हजार रुपए का भुगतान मिला है।
उन्होंने बताया कि एक दिन पहले नगर पालिका सीएमओ ने फिर से रावण बनाने के लिए बात की। जब उनसे एडवांस भुगतान मांगा गया तो उन्होंने टेंडर डालने और कुछ राशि जमा करने की बात कही। हालांकि हमने कह दिया कि पहले भुगतान किया जाए, फिर रावण बनाने का काम शुरू करेंगे। इसके बाद नगर पालिका की ओर से उन्हें कुछ एडवांस राशि उपलब्ध कराई गई है। जिसके चलते आज से रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाने का काम शुरू हुआ है।
इस बार 35 फीट रहेगी रावण की हाइट
इस बार रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों की हाइट बढ़ाई जा रही है। पिछले साल 30 फीट का रावण, 15-15 फीट के कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाए गए थे। इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 35 फीट और कुंभकरण, मेघनाथ के पुतले की ऊंचाई 20-20 फीट रहेगी।
परंपरा को जीवित रखने के लिए बना रहे पुतले
शरद कसगर ने बताया कि पुतलों के निर्माण में कोई प्रॉफिट नहीं होता। सिर्फ परंपरा को जीवित रखने के लिए हर साल बनाते हैं। तीनों पुतलों के निर्माण में करीब 100 से ज्यादा बांस का इस्तेमाल होता है। साथ ही कागज के साथ रंग रोगन का काम भी होता है। इसके अलावा पटाखे भी बाहर से मंगवाए जाते हैं। करीब 40 हजार रुपए के बांस, कागज और रंग रोगन पर खर्च हो जाते हैं। 15 से 20 हजार रुपए के पटाखे लग जाते हैं। साथ ही काम कराने के लिए 10 लेवर लगती है। इस तरह पूरी राशि खर्च हो जाती है।
पुतले बनाने वाले कारीगरों ने इस बार पुतले बनाने से इनकार कर दिया था क्योंकि नगर पालिका ने पिछले साल के काम का भुगतान नहीं किया था।