यहां गिरा था माता सती का दाहिना टखना।
आज से शक्ति की आराधना का पर्व यानि नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है, जिसको लेकर हरियाणा में स्थित एकमात्र शक्तिपीठ भी सजकर तैयार है।
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हम बात कर रहे हैं माता सती के 52 शक्तिपीठों में शामिल और कुरुक्षेत्र में स्थित श्री देवी कूप भद्रकाली मंदिर की। यहां पर आज सुबह 6 बजे मां भद्रकाली की मंगला आरती की जाएगी।
इस शक्ति पीठ का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि महाभारत के युद्ध से पहले पांडवों ने यहीं पर माता से जीत की मन्नत मांगी थी और फिर जीतने पर युधिष्ठिर ने अपने भाइयों के साथ आकर यहां पर अपने सबसे सुंदर घोड़े दान किए थे।
इस विशेष शक्तिपीठ की मान्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर भारत के 4 राष्ट्रपति दर्शन कर चुके हैं। इतना ही नहीं मॉरीशस के राष्ट्रपति भी यहां पर पूजा अर्चना कर चुके हैं।
देवी कूप भद्रकाली मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
पहले जानिए आखिर कैसे बने शक्तिपीठ …
विष्णु ने विश्व कल्याण के लिए चलाया चक्र शक्तिपीठ के पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि, “शास्त्रों के अनुसार देवी सती के यज्ञ में आत्मदाह के बाद भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे। तब सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान शिव के मोह को भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र को देवी सती की मृत देह पर चला दिया।
इससे देवी सती की देह 52 भाग में विभक्त हो गई। उनकी देह के अंग धरती पर जहां-जहां गिरे वे शक्तिपीठ कहलाए।”
पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा ने श्री देवी कूप भद्रकाली मंदिर के शक्तिपीठ बनने को लेकर कहा-

यहां माता सती का दाहिना टखना गिरा था। इसलिए यह शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में शोभायमान है।
मंदिर परिसर में मौजूद पवित्र कुआं इस मंदिर परिसर में मां भद्रकाली की प्रतिमा के सामने एक पवित्र कुआं है। माना जाता है कि यह वही कुआं है, जहां माता सती का टखना गिरा था। टखना गिरने के कारण ही यहां कुआं बन गया। इस कुएं को मंदिर कमेटी ने चारों ओर से सुरक्षा की दृष्टि से कवर किया हुआ है। श्रद्धालु दूर से ही कुएं के दर्शन करते हैं।

मंदिर में स्थापित माता सती का टखना, मान्यता है कि इसी टखने के कारण शक्तिपीठ स्थापित हुआ है।
पांडवों ने शुरू की परंपरा आज तक चल रही पुराणों के मुताबिक, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां भद्रकाली मंदिर में पूजा अर्चना कर युद्ध जीतने पर अपने घोड़े अर्पित करने की मन्नत मांगी थी। मां की कृपा से युद्ध में पांडवों को जीत मिली, जिसके बाद उन्होंने अपने सबसे सुंदर घोड़ों का जोड़ा मां भद्रकाली को अर्पित किया। तब से यहां पर घोड़े चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।
श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर श्रद्धानुसार सोने, चांदी, संगमरमर और मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं। खास बात ये है कि यहां घोड़े भी जोड़े में ही चढ़ते हैं। मंदिर में स्थित कूप पर श्रद्धालु घोड़े चढ़ाते हैं।

मंदिर में स्थित देवी कूप, यहां श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर चढ़ावा चढ़ाते हैं।
श्री कृष्ण की कुलदेवी हैं भद्रकाली मां भद्रकाली यदुवंशियों की कुलदेवी हैं। द्वापर काल में भगवान श्री कृष्ण और दाऊ बलराम का मुंडन संस्कार भद्रकाली शक्तिपीठ में ही हुआ था। इस शक्तिपीठ में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती, राम मंदिर ट्रस्ट अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास, संत मुरारी बापू, श्रीश्री रविशंकर, अवधूत स्वामी शिवानंद और स्वामी अवधेशानंद सहित कई धर्मगुरु, संत-महात्मा मां भद्रकाली के दर्शन कर पूजा-अर्चना कर चुके हैं।

मंदिर में स्थित माता की मुख्य मूर्ति, जो फूलों से सजाई गई है।
थानेसर में 4 कूपों का वर्णन तीर्थांक पुराण में थानेसर में 4 कूपों- चंद्र कूप, रूद्र कूप, विष्णु कूप और देवी कूप का वर्णन मिलता है। यहां ब्रह्मसरोवर परिसर में चंद्र कूप है, जिसे द्रौपदी कूप के नाम से भी जाना जाता है। स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर में रूद्र कूप और भद्रकाली मंदिर में देवी कूप का वर्णन मिलता है।
पिछले साल ही सन्निहित सरोवर के पास श्री लक्ष्मी-नारायण मंदिर में खुदाई के समय कूप मिला। दावा है कि यह कूप ही विष्णु कूप है, जो करीब 100 फुट गहरा है। माना जाता है कि इस कूप से ही सन्निहित सरोवर में जल आता होगा। फिलहाल इस कूप को कवर किया है, ताकि श्रद्धालु दूर से दर्शन कर सकें।

ये दिग्गज राजनेता हो चुके नतमस्तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उनकी धर्मपत्नी सोनल शाह, हिमाचल प्रदेश के सीएम रहे प्रेम कुमार धूमल, त्रिपुरा के सीएम रहे बिप्लब देब, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, हरियाणा के पूर्व सीएम एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सीएम नायब सैनी इस शक्तिपीठ में आकर आशीर्वाद ले चुके हैं।