Tuesday, April 1, 2025
Tuesday, April 1, 2025
Homeमध्य प्रदेशनवरात्रि के पहले दिन शंकराचार्य मठ में विशेष प्रवचन: शक्ति के...

नवरात्रि के पहले दिन शंकराचार्य मठ में विशेष प्रवचन: शक्ति के बिना शिव भी शव, भगवती सीता ही हैं त्रिदेव की शक्ति- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज – Indore News



“उद्भव स्थिति संहार कारिणीं क्लेश हारिणीम्। सर्वश्रेयस्करीं सीतां नतोऽहं राम वल्लभाम् ।।” … रामचरित मानस में शक्ति स्वरूपा भगवती सीता के मंगलाचरण में तुलसी बाबा ने लिखा है कि उद्भव यानी जन्म देने वाली, स्थिति यानी पालने वाली, संहारकारिणीं यानी संहा

.

एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर नैनोद स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने चैत्रीय नवरात्र के प्रथम दिन प्रतिपदा पर अपने प्रवचन में रविवार को यह बात कही।

प्रभाव में नहीं हम भाव में आकर वंदना

महाराजश्री ने बताया कि लोगों ने पूछा- तुलसीबाबा सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार करना तो ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कार्य हैं, तो ये विशेषण सीताजी के लिए क्यों? तुलसी बाबा बोले- ये तीनों कार्य ब्रह्मा, विष्णु महेश किसकी शक्ति से करते हैं? शक्ति के बिना तो शिव भी शव हो जाते हैं। इन सभी को श्रेय देने वाली शक्ति ही भगवती सीता हैं। वे सभी का कल्याण भी करती हैं। इसलिए उनके द्वारा ही अखिल ब्रह्मांड के समस्त कार्य संपादित होते हैं। लोगों ने कहा अच्छा हम समझ गए कि आप प्रभाव में आकर सीताजी की वंदना कर रहे हैं। तुलसी बाबा बोले प्रभाव में नहीं हम भाव में आकर वंदना कर रहे हैं। काहे का भाव? न तो हं राम वल्लभां… माता का भाव… इसलिए कि वे हमारे इष्ट परमात्मा श्रीराम की प्राण वल्लभा हैं।

सीताजी के सहयोग से रामजी ने किया शीर्षाभिमुख रावण का वध

डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने बताया कि एक बार श्रीराम का युद्ध शीर्षाभिमुख रावण से हुआ। उसे यह वरदान था कि उसके रक्त की एक बूंद भी धरती पर पड़ेगी तो वैसा ही रावण फिर तैयार हो जाएगा। जितनी रक्त की बूंदें उतने ही रावण। जब भगवती सीता ने देखा कि इस रावण को मारना रामजी के लिए मुश्किल हो रहा है, तब उन्होंने चंडी का रूप रखकर शीर्षाभिमुख रावण का संहार किया। ये ही गौरी हैं, ये ही लक्ष्मी हैं, ये ही महाकाली हैं। इसलिए नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी होती है।

निष्काम भक्ति से मिलता है मोक्ष

महाराजश्री ने बताया- ॐ सर्व मंगल मंगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।… सभी मंगल को करने वाली, शिव और नारायण को साधने वाली माता गौरी की आराधना में सर्वमान्य दुर्गा सप्तशती का पाठ नवरात्रि में किया जाता है। इसमें भगवती की कृपा के साथ ऐतिहासिक गुप्त रहस्यों के साधन मिलते हैं, जिसमें कर्म, भक्ति और ज्ञान की त्रिवेणी बहती है। इसके विधिवत पाठ से भक्तों को अभिलाषित दुर्लभ से दुर्लभ मनोकामनाएं सहज ही प्राप्त हो जाती है। निष्काम भक्त जिन्हें कुछ नहीं चाहिए, उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है। इन्हीं भगवती का आराधना से ऐश्वर्यशाली राजा सुरथ ने अखंड साम्राज्य की प्राप्ति की थी और वैराग्यवान समाधि वैश्य ने दुर्लभ ज्ञान द्वारा मोक्ष की प्राप्ति की।



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular