धम्म यात्रा में शामिल बौद्ध भिक्षु।
नव नालंदा महाविहार द्वारा जेठियन से राजगीर तक ‘धम्म-यात्रा’ शुक्रवार को आयोजित की गई। यह ऐतिहासिक ‘धम्म-यात्रा’ जेठियन से शुरू हुई, जिसकी समाप्ति वेणुवन, राजगीर में हुई। इस यात्रा में नव नालंदा महाविहार के शिक्षकों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं, नव ना
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नव नालंदा महाविहार साल 2014 से अनवरत इस धम्म यात्रा का आयोजन करता आ रहा है। इस साल भी 11वीं जेठियन राजगीर धम्म यात्रा का सफल आयोजन नव नालंदा महाविहार द्वारा अपने सहयोगी प्रतिष्ठानों जैसे लाइट ऑफ बुद्ध धम्म फाऊंडेशन इंडिया, बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति, अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्फिडेरेशन, नई दिल्ली, पर्यटन विभाग, बिहार सरकार एवं जेठियन ग्राम के ग्राम वासियों के साथ मिलकर किया।
कुलपति बोले- इस दिवस को “बुद्धचारिका दिवस” घोषित करना ही उचित।
नालंदा महाविहार के कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह के नेतृत्व में जेठियन ग्राम (प्राचीन नाम यष्ठिवन) गया जिला से प्रारंभ होकर प्राचीन बुद्ध चारिका पथ से होते हुए लगभग 15 किलोमीटर की यात्रा की समाप्ति वेणुवन, राजगीर में हुई। इस साल की यात्रा में बौद्ध धर्म में विश्वास रखने वाले लगभग 1500 धम्म यात्री और श्रद्धालु सम्मिलित हुए। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध सम्यक सम्बोधि प्राप्ति के बाद सारनाथ में धर्मचक्रप्रवर्तन सूत्र का उपदेश देने के बाद मगधराज सेनिय बिम्बिसार से मिलने राजगृह नगर में इसी मार्ग से आए थे।
बिम्बिसार को जब यह पता चला कि तथागत सम्यक्-सम्बुद्ध इसी मार्ग से राजगृह नगर में आ रहे हैं, तो जेठियन (यष्ठिवन) में अपने अमात्यों सहित भगवान् बुद्ध के स्वागत के लिए उपस्थित हुए और आदर के साथ राजगीर में राजकीय उद्यान वेणुवन में ठहराया। इसके बाद मगधराज बिम्बिसार ने वेणुवन राज्योद्यान को दान स्वरूप भिक्षुसंघ को समर्पित कर दिया था। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रोफेसर सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि क्योंकि इसी मार्ग पर भगवान बुद्ध ने अनेक बार चारिका की। विभिन्न उपदेश दिए और यही पथ बुद्ध के शिष्यों के साथ-साथ प्राचीन नालंदा महाविहार में पढ़ने वाले फाह्यान और ह्वेनसांग जैसे चीनी बौद्ध यात्रियों की धर्म यात्रा का साक्षी रहा है।
इसलिए इस दिवस को “बुद्धचारिका दिवस” घोषित करना ही उचित होगा। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से वागमों डिक्सी, डॉ संघ प्रिय महाथेरो, डॉ महाशेवता महारथ, भिक्षु खुनजंग डेचन, भिक्षु अमफो इत्यादि के साथ साथ नव नालन्दा महाविहार के आचार्य, छात्र, शोध छात्र, गैर शैक्षणिक सदस्यों की सहभागिता रही।