मुंबई11 मिनट पहले
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दालत ने तीनों लड़कियों के बयान भी देखे और कहा, “तीनों बयानों को पढ़ने के बाद यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने इन लड़कियों को किसी भी तरह से बहलाया, धमकाया, लालच दिया या मजबूर किया।”
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़कियों की तस्करी और देह व्यापार के एक मामले में मुंबई के एक आरोपी को जमानत दे दी है। आरोपी को 2 साल से अधिक समय से ट्रायल से पहले ही जेल में रखा गया था।
अदालत ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई ठोस और प्रत्यक्ष सबूत नहीं है। आरोपी की पत्नी की भूमिका इस मामले में ज्यादा गंभीर है और जब उसे जमानत मिल चुकी है तो आरोपी को भी रिहा किया जा सकता है।
जस्टिस मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “आवेदक की बिना ट्रायल के 2 वर्षों से ज्यादा की जेल, अब तक आरोप तय नहीं होना और निकट भविष्य में ट्रायल पूरे होने की कोई संभावना न होना – ये सब बातें उसे जमानत देने के पक्ष में जाती हैं।”
अदालत ने तीनों लड़कियों के बयान भी देखे और कहा, “तीनों बयानों को पढ़ने के बाद यह नहीं कहा जा सकता कि आवेदक ने इन लड़कियों को किसी भी तरह से बहलाया, धमकाया, लालच दिया या मजबूर किया।”

क्या है पूरा मामला…
नवी मुंबई पुलिस ने साल 2023 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। पुलिस को सूचना मिली थी कि एक महिला नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार के लिए उपलब्ध कराती है। इसके बाद पुलिस ने एक फर्जी ग्राहक बनाकर जाल बिछाया। महिला ने कथित रूप से 35,000 रुपए में तीन लड़कियों को लाने की सहमति दी और एक तय जगह पर ऑटोरिक्शा से लड़कियों को लेकर पहुंची। वहां पहुंचते ही पुलिस ने महिला को पकड़ लिया और तीनों लड़कियों को छुड़ाया।
नाबालिग पीड़ित लड़की पुलिस को नहीं मिल रही
प्रॉसिक्यूशन के अनुसार, इन लड़कियों में से एक की उम्र 17 साल 11 महीने, दूसरी की 18 साल 10 महीने और तीसरी की 20 साल 10 महीने थी। अदालत ने यह भी कहा कि इनमें केवल एक लड़की कानूनी रूप से नाबालिग थी, लेकिन वह अब पुलिस को नहीं मिल रही है और उसके उम्र के प्रमाण के तौर पर सिर्फ ऑसिफिकेशन टेस्ट रिपोर्ट ही चार्जशीट में है, जिसमें उसकी उम्र 17 साल 11 महीने बताई गई है।
14 मार्चः बॉम्बे हाईकोर्ट ने POCSO आरोपी को जमानत दी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को दिए एक फैसले में नाबालिग से रेप (POSCO) के आरोप में 3 साल से जेल में बंद 22 साल के युवक को जमानत दे दी। जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने कहा कि 15 साल की नाबालिग को पता था वह क्या कर रही है, वह इसके परिणाम भी जानती थी।
बेंच ने अपने आदेश में कहा- लड़की के बयान से स्पष्ट है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और शारीरिक संबंध सहमति से बने थे। लड़की ने अपनी मर्जी से अपना घर छोड़ा और युवक के साथ गई।
कोर्ट ने यह भी नोटिस किया कि जब लड़की ने परिवार को फोन करके बताया कि वह उत्तर प्रदेश के एक गांव में है, तब भी उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। बेंच ने कहा कि कानून के प्रावधान कड़े होने के बावजूद, न्याय के हित में जमानत देने से इनकार नहीं किया जा सकता, खासकर जब चार साल से मामला लंबित है और अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। पूरी खबर पढ़ें…

10 अप्रैलः इलाहबाद हाइकोर्ट ने पीड़ित छात्रा को रेप का जिम्मेदार बताया
‘यदि पीड़ित के आरोपों को सही मान भी लिया जाए, तो इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था। वह रेप के लिए खुद ही जिम्मेदार भी है। मेडिकल जांच में हाइमन टूटा हुआ पाया गया था, लेकिन डॉक्टर ने यौन हिंसा की बात नहीं की।’
ये टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने की। 10 अप्रैल को कोर्ट ने रेप के आरोपी को जमानत देते हुए कहा, ‘सेक्स दोनों की सहमति से हुआ था।’ रेप का यह मामला सितंबर 2024 का है। पूरी खबर पढ़ें…

इलाहबाद हाईकोर्ट का यह ऑर्डर भी चर्चा में रहा, पढ़िए…

मार्च के दूसरे हफ्ते में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप केस से जुड़े एक मामले में कहा था, ‘स्तन दबाना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं मानी जा सकती।’ यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की बेंच ने की थी। जस्टिस मिश्रा ने 3 आरोपियों के खिलाफ दायर क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन स्वीकार कर ली थी।
इस मामले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत:संज्ञान लिया था। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने सुनवाई की। बेंच ने कहा, “हाईकोर्ट के ऑर्डर में की गई कुछ टिप्पणियां पूरी तरह असंवेदनशील और अमानवीय नजरिया दिखाती हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने कहा-
यह बहुत गंभीर मामला है और जिस जज ने यह फैसला दिया, उसकी तरफ से बहुत असंवेदनशीलता दिखाई गई। हमें यह कहते हुए बहुत दुख है कि फैसला लिखने वाले में संवेदनशीलता की पूरी तरह कमी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह मानवता और कानून दोनों के खिलाफ है। इस तरह की टिप्पणियां ‘संवेदनहीनता’ को दर्शाती हैं और कानून के मापदंडों से परे हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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रेप पर हाईकोर्ट के निर्णय से जुड़ा ये एक्सप्लेनर भी पढ़ें…
शराब पार्टी के बाद छात्रा से रेप, हाईकोर्ट ने पीड़िता को जिम्मेदार बताकर आरोपी को दी जमानत; क्या है कानून और सजा

अगर पीड़ित के रेप के आरोपों को सही मान भी लिया जाए तो भी इस नतीजे पर पहुंचा जा सकता है कि उसने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था और वो रेप के लिए खुद ही जिम्मेदार भी है। गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार सिंह ने ये कहते हुए रेप के आरोपी को जमानत दे दी। पूरी खबर पढ़ें…