झारखंड में 80 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस चल रहे हैं। इनमें हिंदी और इंग्लिश दोनों मीिडयम से पढ़ाई हो रही हैं। 11वीं और 12वीं में 19,815 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। इनमें साइंस के 5845, आर्ट्स के 12,285 और कॉमर्स के 1685 विद्यार्थी शामिल हैं। लेकिन शिक्षा
.
हिंदी में किताब मिलने से छात्र परेशान हैं। शिक्षकों को भी पढ़ाने में परेशानी हो रही है। 12वीं के स्टूडेंट्स को अगले साल बोर्ड परीक्षा देनी है। ऐसे में वे कोर्स पूरा करने के लिए खुद किताबें खरीद रहे हैं या अन्य स्कूलों के दोस्तों से मदद ले रहे हैं। इंग्लिश और हिंदी में किताबें देने में गड़बड़ी क्लास 6 से 9 तक में भी हुई है। रांची में 7वीं से 9वीं में 60 से 70% स्टूडेंट्स हिंदी मीडियम के हैं। फिर भी सभी स्टूडेंट्स को मैथ्स और साइंस की किताबें इंग्लिश में मिली हैं।
मई में नया सत्र शुरू हुआ पर 4 माह बाद भी छठवीं की किताबें अब तक नहीं मिलीं
रांची: कॉमर्स की किताबें हिंदी में बांटी
सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस गर्ल्स बरियातू में 11वीं व 12वीं साइंस व कॉमर्स स्ट्रीम में 60% स्टूडेंट्स इंग्लिश व 40% हिंदी मीडियम के हैं। जिला स्कूल में साइंस में 60% व कॉमर्स में 50% स्टूडेंट्स इंग्लिश मीडियम के हैं। कांके में साइंस व कॉमर्स में सभी स्टूडेंट्स को हिंदी में किताबें दी गई हैं।
हजारीबाग: किताबें लेने से किया मना
हजारीबाग में 4 स्कूल हैं। छठी से 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को सिर्फ हिंदी की जेसीईआरटी से छपी पुस्तकें दी गई है। विद्यार्थियों ने किताबें लेने से मना कर दिया है। सभी बच्चों ने कहा है कि अंग्रेजी माध्यम की ही किताबें चाहिए।
गुमला: कुछ हिंदी, कुछ अंग्रेजी में बुक
जिले में 3 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस हैं। इनमें 1600 बच्चे हैं। मैथ और साइंस की किताब अंग्रेजी में है। अन्य सभी विषयों की पढ़ाई हिंदी किताबों से हो रही है। इस कारण स्कूल ऑफ एक्सीलेंस खोलने का उद्देश्य पूरा होता नहीं दिखाई दे रहा है।
लातेहार: बच्चे खुद कर रहे व्यवस्था
जिले में 4 स्कूल में 2600 बच्चे पढ़ रहे हैं। 25% बच्चों ने अंग्रेजी माध्यम के पढ़ाई चुनी है। लेकिन 15% बच्चों को ही अंग्रेजी माध्यम की किताबें मिल सकी हैं। शेष 10% बच्चों को हिंदी माध्यम की पुस्तकें थोप दी गई हैं। ऐसे बच्चे दोस्तों और खुद की व्यवस्था से सिलेबस को पूरा करने में जुटे हैं।
लोहरदगा: मैथ-साइंस बुक अंग्रेजी में
तीन सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में 2200 बच्चे पढ़ रहे है। मैथ और साइंस की बुक इंग्लिश में है। बाकी किताबें हिंदी में दी गई हैं। इस साल एडमिशन लिए गए सभी बच्चों को हिंदी माध्यम की ही पुस्तकें दी जा रही हैं।
गढ़वा : पुरानी किताबों से पढ़ा रहे हैं तीन स्कूल हैं। इनमें 1473 बच्चे हैं। छठी कक्षा के बच्चों को अबतक किताबें नहीं मिली हैं। पुरानी किताबों से ही काम चलाया जा रहा है। 10, 11 व 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को हिंदी मीडियम की पुस्तकें दी गई हैं।
…स्टूडेंट्स और शिक्षकों को क्या हो रही दिक्कत
- सेशन शुरू हुए चार माह बीत चुके हैं। स्टूडेंट्स को दूसरे माध्यम की किताबें देने से परेशानी बढ़ गई है। चार माह बाद 12वीं के छात्रों की प्री बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी। ऐसे में सिलेबस पूरा करना चुनौती है।
- शिक्षकों को दोनों माध्यम से छात्रों के लिए अलग नोट्स तैयार करना पड़ता है। ऐसे में ज्यादा समय भी लग रहा है।
अंग्रेजी की किताबें भेजी जा रही हैं
80 स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में अंग्रेजी की किताबें भेजी जा रही हैं। पहले हिंदी की किताबें भेजी गई थीं। स्कूल शुरू होने के समय अधिकतर बच्चे और शिक्षक हिंदी मीडियम के थे। बच्चों के बेसिक पर काम किया गया है। अब उनकी अंग्रेजी अच्छी हो रही है, तो उनके लिए अंग्रेजी की किताबें भेजी जा रही हैं। आदित्य रंजन, स्टेट प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर, झारखंड शिक्षा परियोजना