Nirjala Ekadashi Vrat Ke Niyam: इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं. निर्जला एकादशी के व्रत में अन्न और पानी ग्रहण करने की मनाही होती है. इस व्रत के नाम से ही आपको इस उपवास के बारे में पता चल जाता है. निर्जला एकादशी यानि वह एकादशी व्रत, जो बिना जल के रखा जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि को रखते हैं. ज्येष्ठ माह में सूर्य की तपिश अपने चरम पर होती है, प्यास से लोगों का गला सूख जाता है. ऐसे में बिना पानी के निर्जला एकादशी का व्रत रखना बहुत ही कठिन होता है. इस व्रत में आपने पानी पी लिया तो आपका व्रत टूट जाएगा और वह व्रत निष्फल हो जाएगा. लेकिन आपको बता दें कि निर्जला एकादशी के व्रत में 2 बार पानी का उपयोग कर सकते हैं, उसके बाद यदि आपने पानी ग्रहण किया तो व्रत भंग हो जाएगा. आइए जानते हैं कि निर्जला एकादशी व्रत के नियम क्या हैं?
निर्जला एकादशी व्रत के नियम
1. सिर्फ 2 बार कर सकते हैं पानी का उपयोग
5 पांडवों में से भीम ने वेद व्यास जी से पूछा था कि आप कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे उनके पाप मिट जाएं और उनको मृत्यु के बाद सद्गति मिले. भीमसेन बिना भोजन किए नहीं रह सकते थे, इसलिए उन्होंने व्रत को छोड़कर कोई दूसरा उपाय बताने को कहा था. इस पर वेद व्यास जी ने उनसे कहा कि पूरे साल में निर्जला एकादशी का व्रत एक बार आता है, जो व्यक्ति यह एक व्रत कर लेता है, उसे सभी एकादशी व्रतों का पुण्य लाभ मिल जाता है. यह व्रत बिना अन्न और जल के रखना होता है, लेकिन इस व्रत में आप 2 बार जल का उपयोग कर सकते हैं.
ये भी पढ़ें: निर्जला एकादशी कब है? इस एक व्रत से मिलेगा सभी एकादशी का पुण्य, जानें तारीख, मुहूर्त, पारण समय
1. निर्जला एकादशी के दिन जब आाप स्नान करने जाएंगे तो उस समय पहली बार आपको जल का उपयोग करना होगा.
2. निर्जला एकादशी व्रत और पूजा का संकल्प लेते समय जब आप आचमन करेंगे, तो उस समय दूसरी बार जल का उपयोग करेंगे. उसमें भी आपको 6 मासे से अधिक जल नहीं लेना है.
इन दो स्थितियों के अलावा व्रती को कभी भी पानी नहीं पीना है. जो गलती से भी पानी पीते हैं, उनका व्रत निष्फल हो जाएगा.
2. निर्जला एकादशी में कब पी सकते हैं पानी?
यदि आपको निर्जला एकादशी का व्रत रखना है तो आपको जानना होगा कि इसमें पानी कब पीना चाहिए. वेद व्यास जी ने बताया है कि व्रत रखने वाले व्यक्ति को निर्जला एकादशी व्रत के संकल्प के बाद से लेकर द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक पानी नहीं पीना चाहिए. उसके बाद आप जल ग्रहण कर सकते हैं.
3. जो व्यक्ति निर्जला एकादशी का व्रत रखेगा, उसे ब्रह्मचर्य के कड़े नियमों का पालन करना होगा. स्त्री प्रसंग से दूर रहें. व्रती को साफ पीले वस्त्र पहनना चाहिए क्योंकि यह रंग श्रीहरि विष्णु का प्रिय है.
4. निर्जला एकादशी के दिन जीव हत्या या किसी भी प्रकार के पाप से बचना जरूरी है. सत्य बोलें, दूसरों की बुराई न करें, कटु वचन न कहें. भक्ति भजन में समय व्यतीत करें. दोपहर के समय सोना वर्जित है.
ये भी पढ़ें: अमावस्या, पूर्णिमा और पितृ पक्ष में करते हैं पूर्वजों का श्राद्ध तो पितरों को कैसे मिलता है अन्न-जल? जानें क्या कहते हैं हिंदू धर्म शास्त्र
5. निर्जला एकादशी व्रत के लिए व्यक्ति का मन, कर्म और वचन से शुद्ध होना आवश्यक है.
6. व्रती को पूजा के समय निर्जला एकादशी की व्रत कथा सुननी चाहिए. जो इस व्रत की कथा सुनता है, भगवन विष्णु उसका भी कल्याण करते हैं.
7. व्रत से एक दिन पहले और बाद तक मांस, मदिरा जैसी तामसिक वस्तुओं का सेवन न करें और न ही नकारात्मक वस्तुओं और विचारों के संपर्क में रहें.