देश में तेजी से बढ़ते फैटी लिवर के केश को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार एक नई पहल कर रही है। प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने समूचे राज्य में 30 साल से ऊपर के हर व्यक्ति की कमर नापने का अभियान 1 जून से शुरू होगा।
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यह अभियान चलाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों में बढ़ती बीमारी और मोटापे की समस्या। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक मोटापे की वजह से लोगों के बीच कई बीमारियां बढ़ रही है, जिसकी शुरुआत फैटी लिवर से होती है। बाद में फिर यहीं बीमारी से कलेस्ट्रोल बढ़ता है, जो कि हार्ट अटैक का कारण बनता है। पूरे प्रदेश में चलने वाले फैटी लीवर अभियान के लिए डॉक्टर से लेकर आशा कार्यकर्ता तक को ट्रेनिंग दी जा रही है।
पहले समझ ले क्या है फैटी लीवर
फैटी लिवर, जिसे स्टेटोटिक लिवर रोग भी कहा जाता है, इस स्थिति में लिवर पर बहुत अधिक वसा जमा हो जाती है। सामान्य तौर पर, स्वस्थ लिवर में बहुत कम या कोई वसा नहीं होती है, पर जब वसा का संचय यकृत के कुल वजन का 5% से 10% से अधिक हो जाता है, तो इसे फैटी लिवर रोग माना जाता है।

फैटी लिवर रोग के कई कारण हो सकते हैं। इसमें मोटापा, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च ट्राईग्लिसराइड, कुछ दवाएं, विषाक्त पदार्थों के संपर्क में हो सकता है। फैटी लिवर के लक्षण थकान, पेट में दर्द या बेचैनी, पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला पड़ना), सूजन, होती है, जिसकी जांच बल्ड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन या एमआरआई जैसे इमेजिंग परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है।
कुछ मामलों में, लिवर बायोप्सी की भी आवश्यकता हो सकती है। फैटी लिवर ना हो इसके लिए, स्वस्थ आहार लेना, नियमित व्यायाम करना और वजन कम करना, पर केंद्रित होता है, कुछ मामलों में, दवाओं या अन्य चिकित्सा हस्तक्षेपों की भी आवश्यकता हो सकती है। यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो फैटी लिवर रोग लिवर सिरोसिस (लिवर का निशान) और लिवर कैंसर जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की होगी जांच
स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉक्टर संजय मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के द इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंस के साथ एक एमओयू किया है, जिसके तहत नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर पर चिंता जाहिर की गई है, जिसके चलते मध्य प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है, जिससे फैटी लिवर की पहचान की जाएगी। इस तरह का अभियान चलाने वाला एमपी देश का पहला राज्य है, जहां यह अभियान 1 जून से शुरू किया जा रहा है। ज्वाइंट डायरेक्टर हेल्थ के मुताबिक ” नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD) टेस्ट का मतलब होता है, यकृत में वसा जमा होने का टेस्ट करना, जो शराब के सेवन के कारण नहीं है. इसे खासतौर पर डायबिटीज पेशेंट वाले लोगों में देखा जाता है।
फैटी लिवर बीमारी का घर
डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि “फैटी लीवर बीमारी का घर है। सामान्य व्यक्ति का लिवर पर 5% तक फैट होता है, जिसे सामान्य स्थिति माना जाता है, लेकिन यदि इसी लिवर पर चर्बी का जमाव 10% से ज्यादा हो जाए तो इसे फैटी कहा जाएगा, यदि यकृत यानि लिवर पर 10% से ज्यादा फैट का जमाव होता है, तो यह फैट लिवर की कोशिकाओं को नष्ट करना शुरू कर देता है, यह सही ढंग से काम नहीं कर पाता। लिवर शरीर की सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जो कि शरीर में 56 प्रकार के कामों को करती है।
कमर नपेगी सरकार
जबलपुर के मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि 1 जून से मध्यप्रदेश में फैटी लिवर की जांच का कार्यक्रम शुरू होगा, जिसके तहत मध्य प्रदेश में 30 साल से ज्यादा के सभी स्त्री और पुरुषों की कमर नापी जाएगी। स्त्री की कमर 80 सेंटीमीटर से ज्यादा और पुरुष की कमर 90 सेंटीमीटर से ज्यादा है, तो ऐसे लोगों को स्कैन किया जाएगा। जांच की सुविधा सभी जिलों के सरकारी जिला अस्पताल में की जाएगी, जिसकी तैयारी भी शुरू कर दी गई है। जांच के लिए लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें समझाया जाएगा कि आपका लिवर फैटी हो चुका है, जिसका कि तुरंत इलाज करवाना होगा, इसके साथ ही दिनचर्या भी बदलना होगा।
डॉक्टर से लेकर आशा कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग
डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि 1 जून से शुरू हो रहे इस नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर के कार्यक्रम को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने प्रोग्राम बनाया है, जिसके तहत प्रदेश के डॉक्टरों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है, अब इस ट्रेनिंग को स्वास्थ्य विभाग की सबसे अंतिम कड़ी तक पहुंचाना है, ताकि समाज के हर आदमी की जांच की जा सके, जिसके लिए आशा कार्यकर्ताओं की भी ट्रेनिंग करवाई जा रही है। जहां-जहां 30 साल से ऊपर के लोग रहते है, वहां पर टीम उनके घर जाकर जांच करेगी।