जेवर में निर्माणाधीन नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तीसरे और चौथे फेज में भूमि अधिग्रहण और विकास तेजी से होगा। करीब 300 हेक्टेयर लैंड में वैश्विक एअरस्पेस निर्माताओं के लिए ये जमीन आरक्षित की है। ऐसे में कुल 6000 हेक्टेयर में फैले विमानन केंद्र में एक इंटरनेशनल एयरपोर्ट के
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सीईओ अरुण वीर सिंह ने बताया कि हमारा लक्ष्य कम से कम पांच शीर्ष हवाई जहाज बनाने वाली कंपनियों को यहां लाना होगा। इससे न केवल भारत के एअरस्पेस कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। बल्कि रोजगार बढ़ेगा।
हाल ही में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहली सफल लैंडिंग कराई गई थी
YEIDA के सीईओ ने इस बात पर जोर दिया कि व्यापक पुनर्वास पैकेज के साथ मुआवजे में बढ़ोतरी जो कि अब 3,100 से बढ़कर 4,300 प्रति वर्ग मीटर है। इससे जमीन सहमति के आधार लेने में आसानी होगी। यही कारण है परियोजना में तेजी आएगी। यह कदम विमानन केंद्र के विकास को तेजी से ट्रैक करेगा, जिसमें नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कार्गो सुविधाएं और एयरोस्पेस विनिर्माण क्लस्टर को तेजी से विकसित किया जा सकेगा।
तीसरे और चौथे फेज में 2053 हेक्टेयर जमीन होगी अधिगृहीत एविएशन हब परियोजना के तीसरे और चौथे चरण के लिए 14 गांवों में 2,053 हेक्टेयर कृषि भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता है। अधिग्रहण से 42,435 भूस्वामी और उनके परिवार प्रभावित होंगे। जिनमें 15,245 महिलाएं और 10,847 नाबालिग शामिल हैं। हवाई अड्डे के विस्तार के लिए गांवों के रास्ता साफ करने से कुल 9,361 परिवार विस्थापित होंगे।
पहले चरण में, भूमि अधिग्रहण ने हजारों किसानों को विस्थापित किया। पहले चरण में 1,334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया। जिससे 8,971 परिवार प्रभावित हुए। दूसरे चरण में 1,363 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हुआ। जिससे 3,800 किसान प्रभावित हुए।
निर्माण के बाद कुछ ऐसा दिखेगी एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग
अधिग्रहण के बाद तय होगी समय सीमा एक बार तीसरे और चौथे चरण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद YEIDA और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड, एअरस्पेस क्लस्टर विकसित करने के लिए डेड लाइन तय करेंगे। सिंह ने कहा कि एयर बस इंजीनियरिंग और विनिर्माण इकाइयों के लिए नामित 750 एकड़ जमीन में से अधिकारियों को अधिग्रहण के तुरंत बाद निवेशकों को जमीन सौंपने की उम्मीद है।