पंजाब की 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होगी। इनमें गिद्दड़बाहा सबसे हॉट सीट है। सभी पॉलिटिक्स एक्सपर्ट्स की नजरें इस सीट पर लगी हुई हैं। इसके हॉट सीट होने की 3 बड़ी वजहें हैं।
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पहली, यहां से कांग्रेस प्रधान सांसद अमरिंदर राजा वड़िंग की पत्नी अमृता वड़िंग चुनाव लड़ रही हैं।
दूसरी, पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के भतीजे 2 बार के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल BJP के उम्मीदवार हैं।
तीसरी, अकाली दल के पूर्व प्रधान सुखबीर बादल के बेहद करीबी हरदीप डिंपी ढिल्लों आम आदमी पार्टी (AAP) से चुनाव लड़ रहे हैं।
वहीं, जिस अकाली दल की इस सीट पर मजबूत पकड़ रही, वह इस बार चुनाव नहीं लड़ रहा। गिद्दड़बाहा सीट पर वोटरों का मिजाज जानने दैनिक भास्कर ग्राउंड पर पहुंचा तो यहां तिकोना मुकाबला नजर आता है।
कांग्रेस उम्मीदवार अमृता वड़िंग पति राजा वड़िंग की वजह से मजबूत नजर आ रही हैं। राजा वड़िंग के इस्तीफे से ही यह सीट खाली हुई। वह लगातार 3 बार यहां से चुनाव जीत चुके हैं। यहां तक कि 2022 में AAP की की 117 में से 92 सीटों पर जीत के बावजूद वह यहां सीट बचाने में कामयाब रहे थे।
भाजपा के उम्मीदवार मनप्रीत बादल को यहां बादल परिवार की विरासत का फायदा मिल रहा है। मनप्रीत बादल यहां से 4 बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस की हैट्रिक से पहले वही यहां से चुनाव जीतते रहे थे। इसके बाद वह बठिंडा सीट पर चले गए थे। वह पहले अकाली दल में थे।
AAP के उम्मीदवार हरदीप डिंपी ढिल्लो अकाली दल से 2 बार चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस से हार गए। इस बार वह पार्टी बदलकर चुनाव लड़ रहे हैं। विधायक न होते हुए भी उन्होंने अकाली-भाजपा सरकार में काम कराए। उन्हें एक तरफ 2 बार की हार को लेकर लोगों की सहानुभूति मिल रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश में सरकार और उसके ढ़ाई साल के बचे कार्यकाल का फायदा मिल रहा है।
हालांकि, इस सीट पर अकाली दल के वोट बैंक और डेरा सच्चा सौदा के प्रेमियों के वोटर्स ने सबको टेंशन में डाल रखा है।
गिद्दड़बाहा सीट पर कुल 1 लाख 66 हजार 489 मतदाता है। इनमें 86 हजार 724 पुरुष और 79 हजार 754 महिला मतदाता है। 11 वोट ट्रांसजेंडर के हैं। इनमें 18 से 19 साल के 5469 और 80 साल से अधिक उम्र के 1010 वोटर हैं।
7 पॉइंट में जानिए गिद्दड़बाहा सीट का समीकरण
- गिद्दड़बाहा सीट पर 2012 से कांग्रेस का कब्जा है। कांग्रेस उम्मीदवार के पति राजा वड़िंग यहां से लगातार 3 बार विधायक चुने गए। 2022 में AAP की एकतरफा लहर के बावजूद वड़िंग ने जीत हासिल की। हालांकि, उनकी जीत का अंतर महज 1,349 मतों का रहा। दूसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल (बादल) के हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों रहे थे। वह इस बार AAP के उम्मीदवार हैं।
- गिद्दड़बाहा में अकाली दल का मजबूत आधार है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 34% वोट लेने में कामयाब रही थी। इस बार वह चुनाव नहीं लड़ रहे। ऐसे में यह वोट किसके पक्ष में जाता है, वह बड़ा फैक्टर माना जा रहा है। BJP उम्मीदवार मनप्रीत बादल परिवार से हैं। जबकि, AAP के डिंपी ढिल्लों भी पुराने अकाली नेता हैं, जो इस वोट बैंक पर दावेदारी जता रहे हैं।
- BJP भले ही बादल परिवार की विरासत को भुनाने की कोशिश में हो, लेकिन यहां पार्टी का आधार नहीं है। जब पंजाब में अकाली-भाजपा का गठबंधन था तो यहां से अकाली दल का ही उम्मीदवार चुनाव लड़ता था। ऐसे में मनप्रीत अपने बलबूते वोटर्स को लुभाने की कोशिश में हैं। वहीं, उन्हें लेकर बादल परिवार की वजह से लोगों के बीच इमोशनल फैक्टर भी नजर आ रहा है।
- कांग्रेस के लिए उपचुनाव में एंटी इनकम्बेंसी बनी हुई है। लोग राजा वड़िंग से इस बात को लेकर नाराज है कि लुधियाना से सांसद बनने के चक्कर में इन्होंने विधानसभा क्षेत्र छोड़ दिया। विरोधी दल भी इसे भुना रहे हैं कि अगर अमृता वड़िंग जीती तो लोगों को काम करवाने पति के पास चंडीगढ़ या लुधियाना जाना पड़ेगा।
- गिद्दड़बाहा में डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव भी है। ग्रामीण एरिया में डेरे के काफी अनुयायी है। यह वोट सीधे एक जगह पड़ता है। इस सीट पर डेरे के करीब 10 हजार वोटर माने जा रहे हैं। ऐसे में यह वोट किस तरफ जाते हैं, इससे भी चुनाव रिजल्ट पर असर पड़ सकता है।
- गिद्दड़बाहा में भले ही अकाली दल और कांग्रेस का दबदबा रहा हो, लेकिन पिछले पंचायत चुनाव में यहां AAP समर्थकों की पंचायतें चुनी गई हैं। इससे साफ है कि AAP ने अकाली दल और कांग्रेस के ही वोट बैंक में सेंध लगाई है। इसके अलावा AAP उम्मीदवार डिंपी ढिल्लो प्रदेश में सरकार होने की वजह से ज्यादा विकास करवाने के भी दावे कर रहे हैं। इसका बैनिफिट उन्हें वोटर्स के बीच मिलता दिख रहा है।
- इन चुनावों में वोटर विकास न होने को लेकर भी नाराज हैं। उनका कहना है कि शहर के अंदर से गुजरने वाले फाटक पर फ्लाई ओवर नहीं बना। इससे रोजाना जाम लगता है। जरा सी बारिश होने पर जलभराव हो जाता है। सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम का बुरा हाल है। रोजगार और नशे का भी मुद्दा यहां नजर आता है।
डिंपी ढिल्लों विरोधियों को बाहरी कैंडिडेट बता रहे डिंपी ढिल्लों इस चुनाव को लोकल वर्सेज बाहरी कैंडिडेट बता रहे हैं। उनका कहना है कि वह गिद्दड़बाहा के स्थानीय है। बाकी दोनों उम्मीदवार बाहरी हैं। वह ही लोगों के सुख-दुख में शामिल हो सकते हैं। MLA और मंत्री रहे बगैर भी उन्होंने अपने लेवल पर करोड़ों के काम कराए।
अमृता वड़िंग खुद को गिद्दड़बाहा की बेटी बता रहीं अमृता वड़िंग लोगों को यह विश्वास दिलाने में जुटी है कि वह क्षेत्र का विकास करवा सकती हैं। वह खुद को गिद्दड़बाहा की बेटी बता रही हैं। इसके लिए उन्होंने ‘साड्डी धी-साड्डा मान’ के नाम से कैंपेन भी चलाई। उनका दावा है कि वह यहां लंबे समय से सक्रिय हैं, जिससे वह क्षेत्र को दूसरे के मुकाबले अच्छी तरह समझती हैं।
मनप्रीत कह रहे, मैं वित्त मंत्री रहा, विकास के लिए फंड लाउंगा मनप्रीत बादल कहते हैं कि वह गिद्दड़बाहा का विकास करने में सक्षम हैं। जब तक वह यहां से MLA रहे, गिद्दड़बाहा में खूब विकास हुआ। उन्होंने कई बड़े प्रोजेक्ट लगाए। वह 2 बार वित्तमं त्री रह चुके हैं। उन्हें पता है कि सरकारें कहां-कहां पैसे रखती हैं। इसलिए, वह हलके के लिए फंड लाकर ज्यादा विकास करा सकते हैं।
क्या कहते हैं वोटर्स…
मनप्रीत की वजह से इलाके में खेती हुई रविंदर सिंह पेशे से किसान हैं। वह कहते हैं कि हमारे इलाके में पहले फसल नहीं होती थी। मनप्रीत बादल की वजह से किसानों को मोटरें मिलीं। उसके बाद इस इलाके में खेती होने लगी है। आज हमारे लिए अच्छे अवसर पैदा हुए हैं।
वड़िंग ने काम नहीं किया कारोबारी करनजीत सिंह कहते हैं कि देश की आजादी से लेकर अभी तक गली-नालियों के मुद्दे चल रहे हैं। जरा सी बारिश में इलाका तालाब बन जाता है। 3 बार राजा वड़िंग को जिताया, लेकिन काम नहीं हुआ। इस बार सहानुभूति लगा लो, हम हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों को चुनने की सोच रहे हैं। अभी राज्य में AAP की सरकार है। ऐसे में हलके का विकास हो सकता है।
एक्सपर्ट बोले- गिद्दड़बाहा में AAP और कांग्रेस में टक्कर सीनियर पत्रकार और पॉलिटिकल एक्सपर्ट चंद्र प्रकाश के मुताबिक, गिद्दड़बाहा में AAP और कांग्रेस में टक्कर में हैं। जहां तक BJP की बात है तो उन पर चंडीगढ़ में हरियाणा की विधानसभा को जगह देने के इश्यू का इंपैक्ट पड़ेगा।
इसके अलावा भाजपा नेताओं द्वारा दिए जा रहे बयान भी चुनावी नतीजों पर असर डालेंगे। हालांकि, मनप्रीत का अपना रसूख अलग है। वह पहले मंत्री और विधायक रहे हैं। इसके अलावा शिरोमणि अकाली दल का वोट बैंक भी चुनाव में अहम भूमिका निभाएगा।
गिद्दड़बाहा सीट से 2 CM चुनाव लड़ चुके यह सीट 1967 में बनी। उसके बाद यहां से 14 बार चुनाव हुए हैं, जिनमें 9 बार शिरोमणि अकाली दल और 5 बार कांग्रेस जीती हैं। यहां से पहला चुनाव कांग्रेस की टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ ने जीता था। इसके बाद 1969,1972,1977,1980 और 1985 में लगातार पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल जीते।
1992 में कांग्रेस की टिकट पर रघुबीर सिंह चुनाव जीते थे। फिर 1995 उपचुनाव, 1997, 2002 और 2007 में यहां अकाली दल के टिकट पर मनप्रीत बादल चुनाव जीते। जबकि, 2012, 2017 और 2022 में यहां से कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग विजयी रहे।
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