सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग।
पंजाब में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग में 2015 में भर्ती हुए 6 जिला अधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल उठे हैं। इन अधिकारियों पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जमा करने का आरोप है। विभाग के डायरेक्टर ने 14 नवंबर 2022 को अपनी जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष
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केवल 6 उम्मीदवारों का चयन
इनमें से केवल 6 उम्मीदवारों का चयन किया गया। तत्कालीन डायरेक्टर तेज कुमार गोयल की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि चयनित अधिकारियों द्वारा जमा किए गए अनुभव प्रमाण पत्र वास्तविक नहीं हैं। इन अधिकारियों को वर्तमान में जिला सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता अधिकारी के रूप में जाना जाता है। सभी अधिकारी अभी भी पंजाब के विभिन्न जिलों में कार्यरत हैं। विभागीय जांच रिपोर्ट के बावजूद सरकार द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
चयनित अधिकारी के पास यह योग्यता नहीं
अंशकालिक या वॉलंटियर के रूप में कार्य करने वाले इस पद के लिए मान्य नहीं है। हालांकि इनमें से किसी भी चयनित अधिकारी के पास यह योग्यता नहीं थी, क्योंकि चयनित अधिकारी जगमोहन सिंह का अनुभव प्रमाण पत्र 18 नवंबर 2009 से 19 मार्च 2015 तक का है, लेकिन वह मई 2011 तक बीटेक (इलेक्ट्रॉनिक संचार) के स्टूडेंट थे। फिर वह अपनी पढ़ाई के दौरान पूर्णकालिक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कैसे काम कर सकते हैं।
अप्रैल 2014 तक नौसेना में रहे
इसी तरह आशीष कथूरिया नामक चयनित अभ्यर्थी का अनुभव प्रमाण पत्र 2008 से 2015 तक का है, लेकिन उसने पहले बीए और फिर एलएलबी की पढ़ाई दिसंबर 2010 तक कर रहे थे। जांच अधिकारी के अनुसार इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि सुखविंदर सिंह, जिनके पास 2009 से 2015 तक सोशल वर्कर के रूप में अनुभव का प्रमाण पत्र है, अप्रैल 2014 तक नौसेना में रहे हैं।
यानी कि वे समुद्र में भारतीय सेना को अपनी सेवाएं देते हुए सोशल वर्कर के रूप में भी काम करते रहे।
अनुभव प्रमाण पत्रों पर भी प्रश्न चिन्ह
इसी प्रकार निदेशक टी के गोयल ने दो अन्य चयनित अधिकारियों पल्लव श्रेष्ठ और मुकल बावा द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्रों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया था, क्योंकि वे भी इन प्रमाण पत्रों में उल्लिखित अवधि के दौरान अपनी-अपनी पढ़ाई कर रहे थे। जबकि छठे अधिकारी हरपाल सिंह द्वारा जिस संस्थान का अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया गया था, वह यूटी पंजीकृत नहीं था, इसलिए अधिकारी ने उसके प्रमाण पत्र की दोबारा जांच की सिफारिश की।
अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग
साथ ही निदेशक स्तर के अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की थी कि झूठे अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने वाले इन अधिकारियों को बर्खास्त किया जाना चाहिए तथा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जानी चाहिए।टी के गोयल द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट आज भी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के रिकार्ड में दर्ज है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि सभी अधिकारी आज भी अपने पद का फायदा उठा रहे हैं।
अधिकारियों को बचाने का पूरा प्रयास
उधर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी प्रीतम सिंह का कहना है कि निदेशक टी के गोयल की रिपोर्ट के बावजूद उच्च अधिकारियों व सरकार द्वारा रिपोर्ट को दबा दिया गया तथा अधिकारियों को बचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। परिणामस्वरूप ये अधिकारी अभी भी अपने पदों पर तैनात हैं।
विभाग निदेशक ने खड़े किए हाथ
उनकी बेटी एडवोकेट नवप्रीत कौर, जो स्वयं इस पद के लिए उम्मीदवार थीं ने इस रिपोर्ट की प्रति उपलब्ध करवाने के लिए जनवरी 2022 से सितंबर 2024 तक 11 आरटीआई आवेदन दायर किए, लेकिन हर बार इन आवेदनों पर आपत्तियां लगा दी गईं और रिपोर्ट की प्रति उन्हें उपलब्ध नहीं करवाई गई। उधर जब इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले विभाग के निदेशक तेज कुमार गोयल से बात की गई।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अभी भी कार्यालय रिकार्ड में दर्ज है, लेकिन इसे लागू क्यों नहीं किया गया, इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि इस पर कार्रवाई करना सचिव या सरकार के हाथ में है।
अधिकारी बोले-अनुभव प्रमाण पत्र बिल्कुल सही
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने के कुछ महीने बाद उनका तबादला कर दिया गया। हालांकि जब मामले से जुड़े संबंधित अधिकारी से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि पूर्व निदेशक टी के गोयल की रिपोर्ट विभाग द्वारा खारिज कर दी गई है और उनके द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र बिल्कुल सही हैं, लेकिन वे रिपोर्ट खारिज करने का कोई सबूत पेश नहीं कर सके और न ही कैमरे के सामने यह कहने को तैयार हुए की रिपोर्ट खारिज हो चुकी है।