विश्व स्तर पर पक्षियों के संरक्षण की दिशा में नागरिक विज्ञान का महत्वपूर्ण योगदान लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में वैश्विक स्तर पर आयोजित होने वाला ‘ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट’ (जीबीबीसी) कार्यक्रम इस वर्ष भी 14 से 17 फरवरी तक सफलतापूर्वक संपन्न ह
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बिहार में पिछले कुछ वर्षों में बर्ड वॉचिंग के प्रति लोगों, विशेषकर युवाओं में रुचि बढ़ी है। इस वर्ष राज्य के रोहतास, जमुई, नालंदा, पटना, भागलपुर समेत 15 जिलों के पक्षी प्रेमियों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
राजगीर निवासी और जीबीबीसी के जिला समन्वयक राहुल कुमार ने बताया कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल स्थानीय पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने में मदद करते हैं, बल्कि बच्चों और आम नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाने व संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए नीतियां बनाने में भी सहायक होते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष अकेले नालंदा से 201 पक्षियों के चेकलिस्ट बनाए गए, जिसमें 111 प्रजातियों को दर्ज किया गया।
राज्य समन्वयक और पक्षी विशेषज्ञ राहुल कुमार के अनुसार, इस वर्ष के कार्यक्रम की तैयारी के लिए स्कूली बच्चों और नागरिकों के लिए बर्ड वॉक, प्रशिक्षण कार्यक्रम और वेबिनार का आयोजन किया गया था। ग्रेट बैकयार्ड बर्ड काउंट के माध्यम से नागरिकों को पक्षियों और पर्यावरण से जोड़ने का चार दिवसीय उत्सव मनाया गया।
प्राकृतिक के बारे में बच्चों को किया जा रहा है जागरूक।
बिहार में जीबीबीसी के आंकड़े, उत्साहजनक वृद्धि
इस वर्ष बिहार में पक्षियों की सूची में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसके परिणामस्वरूप पहचानी गई प्रजातियों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। आंकड़े बताते हैं कि बिहार ने 2024 में देश के 37 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चेकलिस्ट में 24वां स्थान (215 सूची) और प्रजातियों की संख्या में 26वां स्थान (179 प्रजाति) हासिल किया था।
पिछले 4 वर्षों के आंकड़े बिहार में इस कार्यक्रम की बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाते हैं
वर्ष चेकलिस्ट प्रजाति प्रतिभागी
2021 33 133 17
2022 50 161 20
2023 159 161 34
2024 215 179 49
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
पिछले वर्ष भारत ने वैश्विक स्तर पर पक्षियों के चेकलिस्ट सबमिट करने में 58,276 सूचियों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया था। वहीं, प्रजातियों की संख्या के मामले में, भारत ने 1,036 प्रजातियों को रिकॉर्ड करके तीसरा स्थान हासिल किया था। यह उपलब्धि लगभग 5,000 बर्ड वॉचर्स के समर्पित प्रयासों का परिणाम था।
पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि नागरिक विज्ञान के इस प्रयास से न केवल पक्षियों के बारे में वैज्ञानिक जानकारी बढ़ती है, बल्कि आम नागरिकों के बीच पर्यावरण संरक्षण की भावना भी जागृत होती है। बिहार में इस कार्यक्रम की सफलता यह दर्शाती है कि राज्य के नागरिक पक्षी संरक्षण के प्रति अधिक सजग हो रहे हैं और भविष्य में इस दिशा में और अधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।