कर्नल से मारपीट मामले में नई FIR दर्ज। एसआईटी गठित, परिवार को मिली पुलिस सिक्योरिटी।
पटियाला में पंजाब पुलिस के मुलाजिमों द्वारा सेना के सेवारत कर्नल पुष्पेंद्र सिंह और उनके बेटे अंगद की बेरहमी से मारपीट का मामला गर्माया हुआ है। यह मामला एक तरफ जहां आज शुक्रवार को विधानसभा में उठा तो कर्नल की पत्नी जसविंदर कौर बाठ के द्वारा चार पुलिस
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जिसके बाद इस मामले में अब पुलिस ने कर्नल बाठ के बयान में उन पर हमला करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नई FIR दर्ज की है। मामले की निष्पक्ष जांच के लिए उच्च स्तरीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। साथ ही निलंबित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गई।
वहीं, सरकार ने डीआईजी को संबंधित पुलिस अधिकारियों को पटियाला जिले से बाहर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए। इसके साथ ही कर्नल के परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई।
कर्नल की पत्नी से मांफी मांगते पुलिस अफसरों के वीडियो
SIT में तीन अधिकारियों को किया शामिल अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था, पंजाब, एसपीएस के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है। कमेटी में संदीप मलिक, आईपीएस वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक होशियारपुर और मनप्रीत सिंह पीपीएस, पुलिस अधीक्षक, ग्रामीण, एसएएस को जांच अधिकारी नियुक्त किया है।
ने इस मामले में दोषी चार इंस्पेक्टरों को रिकॉर्डिंग जारी की है। इसमें सारे आरोपी घटना के लिए कर्नल की वाइफ से माफी मांगते दिख रहे है। कर्नल की पत्नी ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
ढाबे पर जाते वक्त किया हमला
यह घटना 13 और 14 मार्च की रात को हुई, जब कर्नल बाठ और उनका बेटा पटियाला के सरकारी राजिंदरा अस्पताल के पास सड़क किनारे एक ढाबे पर गए थे। तभी उन सिविल ड्रेस में आए पुलिसकर्मियों ने उन पर हमला कर दिया था। इसमें कर्नल और उनका बेटा गंभीर रूप में जख्मी हो गए थे। वहीं, पहले पुलिस ने केस दर्ज करने में आनाकानी थी। लेकिन जब मामला गर्मा गया तो पुलिस ने कार्रवाई की। पुलिस ने तुरंत 12 पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड किया। साथ ही साफ किया 45 दिनों में जांच के आदेश दिए है।
सरकार को सौंपी जाएगी जांच रिपोर्ट
पंजाब सरकार ने गुरुवार को घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी परमवीर सिंह जो कि पटियाला नगर निगम आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।। उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 15 के तहत एक विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गई हैं। जांच तीन सप्ताह के भीतर पूरी की जानी है, जिसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जानी है। लेकिन परिवार ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि केवल सीबीआई जांच से ही न्याय सुनिश्चित होगा।