लोकायुक्त छापे के बाद आरटीओ का पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा इस समय सुर्खियों में हैं। मगर, उसे ग्वालियर में जानने वाले लोग बेहद कम हैं। सौरभ के पड़ोसियों का कहना है कि वह ग्वालियर में ज्यादा दिनों तक नहीं रहा, इस वजह से उसे पहचानने वालों का दायरा सीमि
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कॉन्स्टेबल बनने के बाद वह भोपाल शिफ्ट हो गया था। हालांकि, उसकी मां उमा शर्मा राजनीति में सक्रिय थींं, इसलिए लोग मां को ज्यादा जानते हैं। पड़ोसियों की नजर में मौजूदा कार्रवाई से अलग सौरभ की दूसरी ही छवि है। पड़ोसियों का कहना है कि सौरभ बेहद सीधा सादा और ईमानदार था। हमेशा हंसता-मुस्कुराता था। पैसों की न कोई अकड़ थी, न इसकी भूख।
आखिर पड़ोसियों की नजर में जो सीधा सादा सौरभ था, वो कैसे ईडी समेत चार जांच एजेंसियों के रडार पर आ गया। उसके पास से मिला सोना-चांदी और अकूत पैसा किसका हो सकता है…? इन सब पर हमने बात की सौरभ के दोस्तों और पड़ोसियों से। पढ़िए ग्राउंड रिपोर्ट…
ग्वालियर में सौरभ का आलीशान घर है, जहां उसका बचपन बीता।
ग्वालियर का विनय नगर। ये वो कॉलोनी है जहां कुछ साल पहले तक सौरभ रहता था। यहीं उसका पुश्तैनी घर है। जब हमारी टीम उसके घऱ के करीब पहुंची तो 2 कुत्तों की भौंकने की आवाज आने लगी। गेट के बाहर डॉ. आरके शर्मा, एमडी पीडियाट्रिक्स लिखा हुआ है। साथ ही कुत्तों से सावधान रहने की हिदायत वाला एक बोर्ड भी लगा है।
चौकीदार-किराएदार ने कहा- सौरभ को नहीं जानते अंदर झांकने पर एक चौकीदार दिखाई दिया। चौकीदार ने बताया कि मैं यहां 4 दिन पहले ही आया हूं। मुझे इस घर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सुबह 8 से शाम 8 बजे तक ड्यूटी करता हूं। इसके बाद दूसरा चौकीदार आता है। वो नाइट ड्यूटी करता है। उसे सौरभ के बारे में जानकारी होगी, वो यहां काफी दिन से काम कर रहा है। आप उससे ही बात कर लीजिएगा।
इसके बाद हमने सौरभ के पुश्तैनी मकान के ही एक छोटे से हिस्से में रहने वाले किराएदार से बात की। उसने कहा- साहब मैं मजदूर हूं। 4 महीने से यहां रह रहा हूं। उमा मैडम से बात हुई थी। उन्होंने मुझे एक कमरा किराए पर दिया है। यहां पहले शायद घर के मालिक डॉ. आर.के. शर्मा का क्लिनिक था। मैं इसका 11 सौ रुपए किराया देता हूं। बाकी मुझे सौरभ शर्मा और किसी के बारे में कुछ नहीं पता।
19 दिसंबर को इनकम टैक्स ने मेंडोरा के फार्म हाउस से गाड़ी जब्त की जिसमें 54 किलो सोना और 11 करोड़ कैश बरामद हुआ था।
छापे के दौरान दो नकाबपोशों को लेकर कयास इसके बाद हम रात 8 बजे दोबारा घर पहुंचे। घर की अपोजिट साइड पर एक निजी वाहन खड़ा था, जिस पर पुलिस लिखा हुआ था। गाड़ी में मौजूद लोग सिविल ड्रेस में थे। इससे ये संभावना थी कि अगले दिन यहां छापा पड़ा सकता है। ऐसा ही हुआ। वहां छापा पड़ा।
अगली सुबह 5 बजे से शाम 7.30 तक सौरभ शर्मा के पुश्तैनी घर पर रेड चली। छापे के बाद घर से निकलते वक्त ईडी के तीन अधिकारियों के साथ एक नकाबपोश महिला और एक पुरुष भी साथ थे। इस दौरान ईडी ने किसी से कोई बात नहीं की। कई लोगों का कयास था कि नकाबपोश बैंककर्मी थे। वहीं, कुछ लोगों का तर्क था कि नकाबपोश सौरभ का दोस्त चेतन शर्मा था।
20 साल पुराना चौकीदार बोला- 20 दिन पहले आया हूं छापे से एक दिन पहले रात के वक्त हमने दूसरे चौकीदार से बात की। उसने भी कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया। कोई जानकारी न होने की उसने कसम भी खाई। बोला- मैं यहां 20 दिन पहले ही आया हूं। हमारे एक ठेकेदार हैं, वो हमारी ड्यूटी चेंज करते रहते हैं। हम उन्हीं के अंडर काम करते हैं।
हालांकि कुछ पड़ोसियों ने बताया कि ये चौकीदार करीब 20 साल से यहां काम कर रहा है और उमा शर्मा के वफादारों में से एक है। घर पर कोई भी नहीं रहता, लेकिन यह घर लगातार चौकीदारों और दो खूंखार कुत्तों की सुरक्षा में रहता है।
दोस्त बोला- पिता की मौत के बाद छोड़ी IAS की तैयारी सौरभ के एक पुराने दोस्त और पड़ोसी अशोक सलूजा से बात हुई। सौरभ के पुश्तैनी घर के पीछे वाला मकान अशोक का ही है। उन्होंने बताया कि हमारे घरों की छत जुड़ी हुई है। सौरभ का ये घर 1988 में बना था और मेरा घर 1992 में बना। सौरभ की कॉलेज तक की पढ़ाई ग्वालियर में ही हुई है।
इसके बाद वो अपने बड़े भाई सचिन के साथ आईएएस की तैयारी करने दिल्ली चला गया था। बड़े भाई सचिन की शादी के बाद छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग में नौकरी लग गई थी। सौरभ भी लगातार तैयारी कर रहा था।
इसके बाद 2015 में हार्ट अटैक से पिता की मौत के बाद उसने आईएएस की तैयारी छोड़ दी थी। उसके बहुत ज्यादा दोस्त नहीं थे। हम पड़ोसी हैं, तो छत पर सौरभ और उसके भाई सचिन के साथ क्रिकेट वगैरह खेल लेते थे। बाकी टाइम दोनों भाई पढ़ाई में व्यस्त रहते थे।
मां कांग्रेस से जुड़ी थीं, मायके में तीन डीएसपी रहे अशोक ने बताया कि सौरभ को न पैसों की भूख थी, न कोई अकड़। मां उमा शर्मा राजनीति में सक्रिय रहती थीं। वो काफी पहले से कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई थीं। सौरभ अपनी पत्नी के साथ भोपाल में रहता था। उनकी मां भी भोपाल में रहने लगीं थी। बीच-बीच में ग्वालियर आती जाती रहती थीं। सौरभ की मां के मायके में 3 लोग डीएसपी रहे हैं।
उमा शर्मा का मायका कोलासर में है और पिता मुरैना के थे। शादी से पहले उनका नाम उमा खेमरिया था। पिता का स्वभाव बहुत अच्छा था, वे बहुत सीधे थे। उनकी आखिरी पोस्टिंग ग्वालियर जेल में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर थी।
पुराना चौकीदार बोला- मां राजनीति में सक्रिय रहीं मौजूदा चौकीदार कुछ बोलने को तैयार नहीं थे तो हमने पहले चौकीदारी कर रहे शख्स की तलाश की। हमें बहादुर सिंह कुशवाहा मिले। वो पहले चौकीदारी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि जब ये मकान बन रहा था तब हम इसकी चौकीदारी करते थे। मकान बनने के 2-3 साल बाद हमने यहां चौकीदारी का काम छोड़ दिया था।
डॉ. साहब साफ-सुथरे आदमी थे। मां कांग्रेस पार्टी से राजनीति में सक्रिय थीं। वो खुलकर सामने नहीं आती थीं, गुप्त तौर पर राजनीति करती थीं। मतलब पद वगैरह नहीं था। बहादुर ने आगे कहा कि लोग बताते हैं कि केपी सिंह कक्का जू नाम के किसी नेता के साथ इनके पारिवारिक संबंध थे। मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है।
RTI एक्टिविस्ट ने कहा- पता नहीं था, सरगना निकलेगा हाईकोर्ट के वकील अवधेश तोमर ने साल 2023 में एक आरटीआई लगाई थी। जिसमें सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति को लेकर दस्तावेज और जवाब मांगे थे, लेकिन परिवहन विभाग की ओर से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया। अवधेश ने कहा कि तब मुझे मालूम नहीं था कि सौरभ इतना बड़ा सरगना निकलेगा।
ग्वालियर में भी सौरभ शर्मा की कई संपत्तियां हैं। जिस फॉर्महाउस में 54 किलो सोने की गाड़ी पकड़ी गई है, वो सौरभ आसवानी का है। वो भी ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र का रहने वाला है। पुलिस अभी तक उस तक नहीं पहुंच पाई है।
प्रशासन और जांच एजेंसियों को ये पता करना चाहिए कि जब सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति हुई तब तत्कालीन कलेक्टर, एडिशनल परिवहन कमिश्नर, परिवहन कमिश्नर कौन थे? उनसे पूछताछ की जानी चाहिए। इसका खुलासा होना चाहिए।
एक्टिविस्ट का दावा- ऐसे चार कांस्टेबल और हैं एक अन्य आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने कहा- मैं अनुकंपा नियुक्ति की जांच करने के लिए एसपी को आवेदन दे चुका हूं। परिवहन विभाग में भारी लूट मची हुई है। सौरभ की प्रॉपर्टी दुबई में भी हो सकती है। उसकी जांच की मांग भी की है।
ऑफ द रिकॉर्ड- जितने मुंह उतनी बातें सौरभ को लेकर यूं तो ज्यादातर लोग कैमरा देखकर कन्नी काट रहे थे, लेकिन ऑफ रिकॉर्ड बहुत कुछ कह रहे थे। यानी जितने मुंह, उतनी बातें। एक अन्य पड़ोसी ने नाम सामने न लाने की शर्त पर बताया कि एक राजनेता ने इन्हें 3 से 4 बेरियर गिफ्ट कर दिए थे, ये कमाई वहीं से हुई है। लड़का तो बहुत ज्यादा चालाक नहीं था, लेकिन मां इन मामलों में बहुत एक्टिव थी।
विनय नगर में इनके तीन चार प्लॉट हैं। सिटी सेंटर में इनके दो प्लॉट हैं। जहां-जहां उस राजनेता की जमीन है, उसके आसपास सौरभ शर्मा की मां की भी जमीन है। अनुकंपा नियुक्ति में जो धांधली सामने आई है, उसनें भी राजनेता का हाथ है।
जबलपुर में इसके जिस साले के घर में छापा पड़ा है, उसके पास इतना पैसा कहां से आया। वो तो एक साल पहले सामान्य सी नौकरी कर रहा था।
जिस बिल्डिंग में बार, क्लब और रेस्टोरेंट चलाने वाले ऑनर ऑफ रिकॉर्ड बोले- इस बिल्डिंग के बगल से खाली पड़ी जमीन भी उन्हीं की। हमारा किराया आंटी के खाते में ही जाता है। वो पैसे को लेकर काफी सख्त हैं।