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पर्सन टू मर्चेंट पेमेंट की लिमिट खुद तय करेगा NPCI: RBI की परमिशन मिली, पर्सन टू पर्सन की लिमिटी ₹1 लाख बरकरार रहेगी


नई दिल्ली9 मिनट पहले

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अब नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI पर्सन-टू-मर्चेंट के लिए पेमेंट लिमिट खुद तय कर सकता है। 7 से 9 अप्रैल तक चली रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले की जानकारी दी।

अभी पर्सन-टू-मर्चेंट के लिए पेमेंट की लिमिट 2 लाख रुपए है। RBI के इस फैसले का मतलब यह है कि UPI को रेगुलेट करने वाला NPCI अब 2 लाख रुपए की लिमिट के बढ़ा-घटा सकता है। पर्सन टू पर्सन UPI ट्रांजैक्शन की लिमिट 1 लाख रुपए बरकरार रहेगी।

पर्सन-टू-पर्सन और पर्सन-टू-मर्चेंट

  • पर्सन-टू-पर्सन (P2P) पेमेंट लिमिट का मतलब है कि कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को UPI के जरिए अधिकतम कितनी राशि ट्रांस्फर कर सकता है। यह लिमिट फिलहाल एक लाख रुपए है।
  • पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) पेमेंट लिमिट का मतलब है कि कोई व्यक्ति किसी बिजनेस या मर्चेंट को UPI के जरिए अधिकतम कितनी राशि ट्रांस्फर कर सकता है। ह लिमिट फिलहाल दो लाख रुपए है।

RBI मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग की 3 बड़ी बातें…

  • लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कटौती: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6% कर दिया है। पहले ये 6.25% थी। इस कटौती के बाद आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं। वहीं आपकी EMI भी घटेगी।
  • फरवरी में भी 0.25% कटौती की थी: इससे पहले वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी मीटिंग में RBI ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी। फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।
  • FY26 के लिए ग्रोथ और महंगाई का अनुमान: RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है। खुदरा महंगाई दर (CPI) 4% के आसपास रहने की संभावना है। गवर्नर ने कहा कि मॉनेटरी पॉलिसी का फोकस ग्रोथ को बनाए रखते हुए महंगाई को कंट्रोल करने पर होगा।

UPI को NCPI ऑपरेट करता है

भारत में RTGS और NEFT पेमेंट सिस्टम का ऑपरेशन RBI के पास है। IMPS, RuPay, UPI जैसे सिस्टम को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ऑपरेट करती है। सरकार ने 1 जनवरी 2020 से UPI ट्रांजैक्शन के लिए एक जीरो-चार्ज फ्रेमवर्क मैंडेटरी किया था।

UPI कैसे काम करता है?

UPI सर्विस के लिए आपको एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस तैयार करना होता है। इसके बाद इसे बैंक अकाउंट से लिंक करना होगा। इसके बाद आपका बैंक अकाउंट नंबर, बैंक का नाम या IFSC कोड आदि याद रखने की जरूरत नहीं होती। पेमेंट करने वाला बस आपके मोबाइल नंबर के हिसाब से पेमेंट रिक्वेस्ट प्रोसेस करता है।

अगर, आपके पास उसका UPI आईडी (ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर या आधार नंबर) है तो आप अपने स्‍मार्टफोन के जरिए आसानी से पैसा भेज सकते हैं। न सिर्फ पैसा बल्कि यूटिलिटी बिल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, खरीदारी आदि के लिए नेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड भी जरूरत नहीं होगी। ये सभी काम आप यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस सिस्टम से कर सकते हैं।

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ये खबर भी पढ़ें…

अब UPI से ₹5 लाख तक कर सकेंगे पेमेंट: ये शैक्षणिक संस्थानों-हॉस्पिटल के लिए, ₹1 लाख तक ऑटो पेमेंट के लिए OTP जरूरी नहीं

रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद सरकार ने आज यानी 8 दिसंबर को UPI से पेमेंट की लिमिट को ₹1 लाख/दिन से बढ़ाकर ₹5 लाख/दिन कर दिया है। फिलहाल ये सुविधा हॉस्पिटल्स और शैक्षणिक संस्थानों में UPI से पेमेंट करने पर मिलेगी।

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