पलामू में फोर्थ ग्रेड के 585 पदों पर नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में दो पक्ष सामने आए हैं। फरवरी में बर्खास्त किए गए 251 कर्मी नई बहाली में समायोजन चाहते हैं। स्थानीय युवा नियुक्ति के नियमों में बदलाव की मांग कर
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बर्खास्त कर्मियों का कहना है कि उन्हें 2018 में नियुक्ति मिली थी। सात साल सेवा के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विज्ञापन रद्द हुआ। तत्कालीन डीसी ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना उन्हें बर्खास्त कर दिया। वे सोमवार से रैली और प्रदर्शन शुरू करेंगे।
बहाली में स्थानीयता को प्राथमिकता दी जाए
दूसरी ओर, स्थानीय युवाओं की मांग है कि बहाली में स्थानीयता को प्राथमिकता दी जाए। उनका कहना है कि पूरे राज्य के अभ्यर्थियों को आवेदन की छूट उचित नहीं है। वे मैट्रिक अंकों के बजाय परीक्षा के माध्यम से भर्ती चाहते हैं।
भाजपा ने युवाओं का समर्थन किया है। जिलाध्यक्ष अमित तिवारी और महामंत्री ज्योति पांडेय ने कहा कि हेमंत सरकार युवाओं के हित भूल गई है। उन्होंने कहा कि सरकार निजी कंपनियों में स्थानीयता की बात करती है, लेकिन पलामू जैसे पिछड़े जिले की बहाली पूरे राज्य के लिए खोल दी है।
इस मामले को वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कैबिनेट में उठाया था। बैठक में राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की बात कही गई थी।