Friday, April 18, 2025
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पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों का आंदोलन: SSC परीक्षा की OMR शीट को सार्वजनिक करने की मांग, 10 अप्रैल को भूख हड़ताल का ऐलान किया था


कोलकाता19 मिनट पहले

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प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए और बहाली की मांग की। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस आंदोलन में कर्मचारियों का साथ दिया।

पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में नौकरी गंवा चुके टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ शुक्रवार को सड़कों पर उतर आए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिन 25,753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति को अवैध बताया गया, उनमें से कई ने कोलकाता के साल्ट लेक इलाके से स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) तक मार्च किया।

प्रदर्शनकारियों ने SSC परीक्षा की OMR शीट को सार्वजनिक करने की मांग की है। जिससे योग्य उम्मीदवारों की पहचान हो सके। प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए और बहाली की मांग की। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस आंदोलन में कर्मचारियों का साथ दिया।

10 अप्रैल को बर्खास्त कर्मचारियों ने पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल करने का ऐलान किया था। टीचर्स 9 अप्रैल की रात से ही पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (WBSSC) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहें थे।

इससे पहले टीचर्स ने डिस्ट्रिक्ट इंसपेक्टर (डीआई) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया था। जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर लाठीचार्ज और लात-घूसों से पीटने का आरोप लगाया था।

नौकरी गंवा चुके टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ SSC परीक्षा की OMR शीट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहें है।

नौकरी गंवा चुके टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ SSC परीक्षा की OMR शीट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहें है।

ममता – कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं

मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 7 अप्रैल को उन शिक्षकों और स्टाफ से मुलाकात की थी, जिनकी भर्ती सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दी है। ममता बनर्जी ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश से बंधे हुए हैं। यह फैसला उन कैंडिडेट्स के लिए अन्याय है, जो काबिल शिक्षक थे।

उन्होंने कहा- आप लोग यह मत समझिए कि हमने फैसले को स्वीकार कर लिया है। हम पत्थरदिल नहीं हैं। मुझे ऐसा कहने के लिए जेल भी डाल सकते हैं, लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल BJP ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे और जेल भेजने की मांग की है।

राहुल की राष्ट्रपति को चिट्‌ठी; जो निर्दोष, उन्हें नौकरी में बने रहने देना चाहिए

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 8 अप्रैल को 25 हजार 753 टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति रद्द करने के मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखी। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति से मांग की है कि जो लोग निर्दोष हैं, उन्हें नौकरी में बने रहने देना चाहिए।

राहुल ने कहा था- मैं वेस्ट बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन (WBSSC) भर्ती में हुए घोटाले की निंदा करता हूं। राष्ट्रपति खुद एक टीचर रही हैं। 25 हजार 753 लोगों कई ऐसे भी हैं, जो निर्दोष हैं। उनका इस घोटाले से कोई लेना देना नहीं है। उनकी बर्खास्तगी से शिक्षा प्रणाली और परिवार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।

भाजपा बोली- 21 अप्रैल को सचिवालय मार्च करेंगे

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मामले में मुख्यमंत्री को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा- कई मौके मिलने के बावजूद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की मांगी गई सूची नहीं दी।

राज्य सरकार 15 अप्रैल तक सूची जमा कर सकती है। ऐसा न होने पर हम 21 अप्रैल को एक लाख लोगों के साथ नबन्ना तक मार्च करेंगे। यह एक गैर-राजनीतिक, लोगों का आंदोलन होगा।

वहीं, भाजपा सांसद और कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा- सरकार ने अगर पिछले आदेश को स्वीकार कर लिया होता तो 19 हजार शिक्षकों की नौकरी नहीं जाती।

भाजपा अध्यक्ष ​​​​​- ममता जिम्मेदारी निभाने में फेल

श्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा था – ‘शिक्षक भर्ती में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी राज्य की विफल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ममता बनर्जी के शासन में कैसे पश्चिम बंगाल में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया।

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