जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में जान गंवाने वाले सुशील नथानियल का शव बुधवार रात में इंदौर पहुंचा। सीएम डॉ. मोहन यादव ने श्रद्धांजलि अर्पित की और शोकाकुल परिवार के प्रति शोक संवेदना जताई। मुख्यमंत्री से मिलते ही उनके परिजन फूट-फूटकर रोने लगे।
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इंदौर में देर रात को सुशील नथानियल की पत्नी जेनिफर ने बताया की सुशील ने मेरी जान बचाने के लिए अपने सीने पर गोली खाई, जो भी थे वह तीन व्यक्ति थे। छोटे-छोटे कम उम्र के थे। मैंने बस इतना सुना उन्होंने मेरे मिस्टर के पास बंदूक लगा कर यह बोला की कलमा पड़ो, लेकिन मेरे मिस्टर ने कहा की मैं तो क्रिश्चियन हूं, मैं तो ईसाई हूं। मुझे कमला, कलमा जो भी है वह पढ़ते नहीं आता है।
मेरे पति के बस इतने बोलते ही आतंकियों ने उन्हें धक्का दिया और सीने पर बंदूक मार दी। मेरे पति ने वहीं जान छोड़ दी। हम लोग कुछ समझ ही नहीं पाए कि अचानक ये क्या हो गया। एक गोली बेटी आकांक्षा के पैर में भी लगी। देर तक अफरा-तफरी मची रही।
आज होगा सुशील का अंतिम संस्कार
सुशील आलीराजपुर स्थित एलआईसी की सैटेलाइट शाखा में पदस्थ थे। वे 4 दिन पहले ही 21 वर्षीय बेटे ऑस्टिन गोल्डी, 30 वर्षीय बेटी आकांक्षा और पत्नी जेनिफर के साथ कश्मीर गए थे। सुनील नथानियल का अंतिम संस्कार गुरुवार को जूनी इंदौर कब्रिस्तान में किया जाएगा। इससे पहले शव को प्रार्थना सभा के लिए परदेशीपुरा चर्च ले जाया जाएगा।
ममेरे भाई ने कहा- सुशील को सरप्राइज देने की आदत थी
सुशील नथानियल के ममेरे भाई संजय कुमरावत ने बताया- भैया-भाभी और उनके दोनों बच्चे जम्मू-कश्मीर घूमने गए थे। हमें पता नहीं था। कल शाम करीब 8 से 9 बजे के बीच भतीजे ऑस्टिन का फोन आया। उसका रो-रोकर बुरा हाल था। कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। दो बार फोन काट दिया। तीसरी बार में उसने बताया कि आतंकवादियों ने पापा को गोली मार दी है। बहन आकांक्षा के पैर में भी गोली लगी है। मां और मैं जैसे-तैसे बचे हैं। भतीजे की बात सुनकर हमारे भी हाथ-पैर ढीले पड़ गए।
यह कहते हुए पहलगाम में मारे गए एलआईसी अफसर सुशील नथानियल के ममेरे भाई संजय कुमरावत फूट-फूटकर रोने लगे। कहा, मेरा दोस्त जैसा भाई चला गया। सुशील को सरप्राइज देने की आदत थी, इसीलिए उसने इस टूर के बारे में हमें नहीं बताया। वहां से लौटकर हमें सरप्राइज देना चाहता था। वह सरप्राइज देकर ही हमसे विदा हो गया। लेकिन उसने इस बार समय गलत चुन लिया।
संजय ने कहा, कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से ही हम लोग वहां घूमने का प्लान बना रहे थे। लेकिन वहां के हालात ठीक नहीं हैं। यदि सुशील ने हमें पहले बताया होता या चर्चा की होती तो हम जाने ही नहीं देते। वहां ऐसे लोग रहते हैं जो कायर हैं, हमसे द्वेष भाव रखते हैं।
बुआ बोलीं- इजराइल का प्लान था, छुट्टी नहीं मिली तो कश्मीर गए
सुशील की जोबट (आलीराजपुर) की रहने वाली बुआ इंदु डावर ने बताया कि सुशील परिवार के साथ गर्मी में हर बार घूमने के लिए कहीं न कहीं जाते थे। इस बार उनका इजराइल जाने का प्रोग्राम था। लेकिन उनकी पत्नी जेनिफर को लंबे समय के लिए छुट्टी नहीं मिली, इसलिए कश्मीर चले गए। उनका परिवार इंदौर में ही रहता था, लेकिन वे मुझसे मिलने आलीराजपुर से जोबट जरूर आते थे।
सुशील कहता था, जीवन में आए तो कुछ अच्छा करके जाएंगे
इंदु ने कहा कि सुशील के दादाजी सेकेंड वर्ल्ड वॉर में सैनिक थे। पहले हम सब लोग साथ में रहते थे। लेकिन जैसे-जैसे नौकरियां लगती गईं, सब यहां से जाते गए। सुशील के पिता 87 साल के हैं। पिता को कम सुनाई देता है, इस वजह से सुशील हमेशा उनके साथ रहते थे। सुशील हमेशा कहते थे, “जीवन में आए हैं तो कुछ अच्छा करके जाना चाहिए।” वह अपना काम मेहनत व लगन से करते थे।