नई दिल्ली25 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
जनहित याचिका कश्मीर के रहने वाले मोहम्मद जुनैद ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं में फतेश कुमार साहू और विकी कुमार का भी नाम था।
सुप्रीम कोर्ट ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले की न्यायिक जांच से इनकार कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत और एनके सिंह की बेंच ने याचिकाकर्ता को फटकारा।
कोर्ट ने कहा कि, यह संवेदनशील समय है। पूरा देश एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है। क्या आप सिक्योरिटी फोर्स का मनोबल गिराना चाहते हैं। ऐसी याचिकाएं कोर्ट में मत लाइए।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ऐसी जनहित याचिकाएं दायर करने से पहले जिम्मेदारी से काम लें। देश के प्रति भी आपका कुछ कर्तव्य है। आप रिटायर्ड जज से जांच करने के लिए कह रहे हैं। हम जांच (आतंकी हमले) के एक्सपर्ट कब से बन गए। हमारा काम केवल फैसला सुनाना है।
हालांकि कोर्ट ने कहा, स्टूडेंट की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे पर आज हाईकोर्ट जा सकते हैं। इसके बाद तीन याचिकाकर्ताओं में से एक ने याचिका वापस ले ली।

किसने दायर की थी पिटीशन जनहित याचिका कश्मीर के रहने वाले मोहम्मद जुनैद ने दायर की थी। याचिकाकर्ताओं में फतेश कुमार साहू और विकी कुमार का भी नाम है। याचिका में ये भी कहा गया है कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकार कश्मीर में पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर गोली मारी थी
कश्मीर के पहलगाम स्थित बायसरन घाटी में 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। इसमें 26 पर्यटक मारे गए थे। इसमें एक नेपाल का टूरिस्ट भी शामिल था। आतंकियों ने पर्यटकों का धर्म पूछकर गोली मारी थी। हमले की जिम्मेदारी पहले द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, हालांकि बाद में इससे मुकर गया था।
पहलगाम हमला मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कर रही है। NIA ने मामले में 27 अप्रैल को जम्मू में केस दर्ज किया था।
चश्मदीद ने बताया था, 22 अप्रैल को क्या हुआ था…
आतंकी हमले में महाराष्ट्र के संतोष जगदाले भी मारे गए थे। जगदाले अपनी पत्नी और बेटी के साथ पहलगाम घूमने गए थे। साथ में एक महिला रिश्तेदार भी थी। आतंकियों ने तीनों महिलाओं को छोड़ दिया।
जगदाले की बेटी असावरी ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया था- हम पांच लोगों का ग्रुप था। इसमें मेरे माता-पिता भी शामिल थे। हम पहलगाम के पास बैसरन घाटी में थे, तभी गोलीबारी की आवाज सुनी। देखा कि पुलिस के कपड़े पहने कुछ लोग गोलियां चला रहे हैं।
असावरी ने कहा, ‘हम सभी पास के एक टेंट में छिप गए। 6-7 अन्य लोग भी आ गए। हम सभी गोलीबारी से बचने के लिए जमीन पर लेट गए, पहले लगा कि यह आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच कोई मुठभेड़ है।
तभी एक आतंकी हमारे टेंट में आ गया। उसने मेरे पिताजी को बाहर आने के लिए कहा। साथ ही पीएम मोदी के लिए कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल किया। फिर उन्होंने मेरे पिता से एक इस्लामी आयत (शायद कलमा) पढ़ने को कहा। जब वे नहीं पढ़ पाए तो उन्हें तीन गोलियां मार दीं, एक सिर पर, एक कान के पीछे और एक पीठ में। मेरे चाचा मेरे बगल में थे। आतंकवादियों ने उन्हें चार से पांच गोलियां मारीं।’
हमले के बाद भारत सरकार का एक्शन

—————————–
पहलगाम हमले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
कौन है पहलगाम हमले से पहले अल्लाह-हू-अकबर कहने वाला मुजम्मिल:घर जाकर रोया, पिता बोले- मुसलमान हैं, इसमें क्या गलत; NIA कर रही पूछताछ

पहलगाम में आतंकी हमले से ठीक पहले का एक वीडियो है। अहमदाबाद के ऋषि भट्ट जिप लाइन राइड शुरू कर रहे थे। तभी गोली चलने की आवाज आई। जिप लाइन ऑपरेटर ने तीन बार कहा- अल्लाह-हू-अकबर। वीडियो सामने आया तो सवाल उठने लगे कि क्या जिप लाइन ऑपरेटर को पता था कि हमला होने वाला है। पूरी खबर पढ़ें…