Thursday, March 13, 2025
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पानी पहुंचा द्वार: किसानों ने 20 साल से विवादित जोरा नाले से पत्थर-रेत ह​टाए तब ओडिशा जाने वाला पानी इंद्रावती नदी में आया – Jagdalpur News



जोरा नाले की सफाई में जुटे तीन ब्लाक के सैकडों किसान।

सुखती इंद्रावती नदी और फसलों को बचाने के लिए बुधवार को किसानों ने बड़ा कदम उठा लिया। जिले के तोकापाल, लोहंडीगुड़ा और बस्तर ब्लॉक के किसान और इंद्रावती बचाओ संघर्ष समिति के सैकडों लोग अचानक ही जोरा नाला पहुंच गए और यहां छत्तीसगढ़ के हिस्से में पानी को आन

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इसके बाद जोरा नाले में रेत के टीले और पत्थरों को हटाना शुरू किया। दोपहर दो बजे तक मौके पर बड़ी मात्रा में रेत के टीले और पत्थर हटाने के बाद पानी का फ्लो इंद्रावती की तरफ बढ़ गया। जोरा नाले में रेत के टीले और पत्थर को हटाने को लेकर छत्तीसगढ़ और ओडिशा सरकार के बीच 20 सालों से विवाद चल रहा था।

छत्तीसगढ़ जल संसाधन विभाग के अफसर रेत के टीले और पत्थरों को हटाने की मांग कई बैठकों में करते रहे लेकिन अधिकारिक या यूं कहें कि सरकारी तौर पर यह काम नहीं हो पाया। हाल के दिनों में भी दोनों राज्यों के अफसरों के बीच उदयपुर में बैठक हुई। इसके बाद दोनों राज्यों के अफसर जोरा नाला में निरीक्षण के लिए पहुंचे लेकिन रेत के टीले-पत्थर नहीं हटे। इस बीच इंद्रावती सूखने लगी तो किसानों ने खुद ही पत्थर व रेत के टीले हटा दिए।

पुलिस के साथ पहुंची राजस्व विभाग की टीम इधर किसानों द्वारा जोरा नाले में रेत के टीले और पत्थर हटाने की जानकारी मिलने के बाद मौके पर राजस्व विभाग के अफसर पुलिस बल के साथ पहुंचे और किसानों को रोकने की कोशिश की। लेकिन किसान नहीं माने और नाले के पास खुदाई का काम जारी रखा। इस दौरान अफसरों ने किसानों को ये भी बताया कि इस तरह से नाले के पास जमी रेत और पत्थर हटाने का काम सरकार का है और इसे सरकारी तौर पर ही किया जा सकता है। लेकिन सरकारी अमलों की बातों को दरकिनार करते हुए किसानों ने अपना काम जारी रखा।

नदी बचाने आगे नहीं आए तो उठाना पड़ा ऐसा कदम इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष लखेश्वर कश्यप ने बताया कि जोरा नाले से छत्तीसगढ़ की तरफ पानी न आकर सिर्फ रेत के ढेर जमा हो रहे थे। इस साल नदी में पानी ही नहीं है। इंद्रावती सूख गई और फसल भी सूख रही थी। जिला प्रशासन इंद्रावती नदी में पानी लाने के लिए कोई विशेष प्रयास ही नहीं कर रहा था। इसलिए ऐसा कदम उठाना पड़ा।

ओडिशा जता सकता है आपत्ति, विवाद बढ़ेगा इसे लेकर ओडिशा आपत्ति दर्ज करवा सकता है। ओडिशा की ओर से फिर से इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाकर कहा जा सकता है कि जब दोनों राज्यों के बीच बातचीत चल रही थी फिर किसानों को खुदाई से रोकना था। हालांकि जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता वीपी पांडे ने बताया कि ओडिशा सरकार अब इस मामले में संजीदा रूख इख्तियार कर चुकी है।

2003 में समझौता- दोनों राज्यों को आधा-आधा पानी

छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच वर्ष 2003 में एक समझौता हुआ था इस समझौते के तहत जोरा नाले से दोनों राज्यों को 50-50 प्रतिशत पानी मिलने पर सहमति बनी थी। लेकिन इस सहमति के बाद भी छत्तीसगढ को पचास फीसदी पानी नहीं मिल रहा था। रेत और पत्थर की वजह से छत्तीसगढ़ के हिस्से में 30 फीसदी पानी आ रहा था। अफसर इसे लेकर बैठक ही कर रहे थे।

इस बीच किसानों द्वारा 8 सदस्य की जांच कमेटी गठित की गई और इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष की अध्यक्षता में जांच कमेटी ने मंगलवार को मौके का निरीक्षण किया और पाया कि छत्तीसगढ़ के हिस्से में समझौते के अनुसार पानी नहीं आ रहा है। किसानों ने अपने हिस्से का पानी लेने के लिए मौके पर खुदाई कर दी और आधे विवाद को खत्म कर दिया।



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