Thursday, June 26, 2025
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पिता का अधूरा सपना बेटियों ने पूरा किया: एक अकाउंट ऑफिसर, दूसरी नायब तहसीलदार और अब तीसरी बेटी बनी डिप्टी कलेक्टर – Kanker News


निधि प्रधान CGPSC 2023 परीक्षा में 306वां रैंक और कैटेगरी अनुसार तीसरा रैंक लाकर डिप्टी कलेक्टर बनी हैं।

कांकेर जिले की बारदेवरी निवासी निधि प्रधान CGPSC 2023 परीक्षा में 306वां रैंक और कैटेगरी अनुसार तीसरा रैंक लाकर डिप्टी कलेक्टर बन गई है। इसके पहले 2022 बैच में बड़ी बहन गरिमा प्रधान नायब तहसीलदार बनी और उससे बड़ी बहन कृतिका प्रधान ने 2021 बैच में अकाउं

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इसी तरह सबसे छोटी बहन धनिष्ठा प्रधान भी महाविद्यालय में पढ़ाई करते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गई है।

कृतिका प्रधान ने 2021 बैच में अकाउंट ऑफिसर का पद हासिल किया है।

पिता का सपना था अधिकारी बनना

डिप्टी कलेक्टर बनी निधि प्रधान ने चर्चा के दौरान बताया कि उनके पापा यादव राम प्रधान शिक्षक थे, जिन्होंने हम चारों बहनों को शुरू से पढ़ाई के क्षेत्र में आगे रखते हुए अधिकारी वर्ग में आने के लिए कहा। क्योंकि उनका खुद का सपना सिविल सर्विसेज का परीक्षा पास कर अधिकारी बनना था।

गरिमा प्रधान अब नायब तहसीलदार बन चुकी है।

गरिमा प्रधान अब नायब तहसीलदार बन चुकी है।

2018 में हुआ पिता का निधन

लेकिन परिस्थितियों की वजह से उनका सपना पूरा नहीं हुआ। पापा अपना सपना संजोय हमारी पढ़ाई बड़े जोर-शोर से करवा रहे थे कि सन 2018 में उनका निधन हो गया। हम चारों बहनों ने इसके बाद पापा का सपना पूरा करने की ठानी।

निधि ने कहा कि पापा का सपना पूरा कर मुझे अपने आप पर गौरवान्वित महसूस हो रहा है। परीक्षा परिणाम आने के कुछ दिनों पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया था। मेरी दो बुआ मेरा हाल-चाल जानने पहुंची थी। इसी दौरान परिणाम आया और सभी खुशी से झूम उठे।

12वीं पूरा होते ही शुरू कर दी थी तैयारी

निधि प्रधान ने बताया कि 12th की पढ़ाई पूरा कर आगे की पढ़ाई के लिए गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान और उनके सहायक विषयों का चयन किया और साथ ही CGPSC का तैयारी शुरू कर दी थी।

तैयारियां चल रही थी। 21 वर्ष की उम्र में स्नातक पूरा हुआ और फॉर्म भर दिया। तैयारियों के दौरान कोचिंग संस्थान और लाइब्रेरी का मदद लेकर लगातार 12 घंटे पढ़ाई की।

लाइब्रेरी में बीती छुट्टियां…

निधि प्रधान के अनुसार तैयारी के लिए सुबह 6 बजे तैयार होकर 7 बजे तक लाइब्रेरी पहुंच जाते थे। दोपहर 1 से 2 बजे तक पढ़ाई करते थे। 2 बजे लंच के लिए जाकर 3 बजे तक वापस लाइब्रेरी चल जाते थे। रात में 10 बजे वापसी होती थी। कई बार घर में मम्मी से बात भी नहीं हो पाती थी। त्योहारों में भी बहुत कम घर आते थे।



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