पितृपक्ष के दौरान जमीन की खरीदी-बिक्री के कारोबार की गति धीमी हो गई है। नए सौदे करने के लिए खरीदार और विक्रेताओं को नवरात्र तक का इंतजार करना होगा। अब तक प्लॉट, मकान और कृषि भूमि में रिकॉर्ड स्तर पर निवेश हुआ है। पंजीयन आय पिछले साल के मुकाबले अधिक ह
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पिछले एक-डेढ़ दशक के दौरान शहर व जिले में तेजी से विस्तार हुआ है। इस प्रगति से मूल रूप से सरदार सरोवर बांध परियोजना के बाढ़ प्रभावित लोग जिला मुख्यालय व आसपास के सटे क्षेत्रों में जमीन लेकर बस गए हैं। साथ ही शहर से सटे हुए कई किसानों के खेत अब विकसित कॉलोनियों में तब्दील हो गए हैं।
शहर के पास से गुजर रहे कुक्षी बायपास के आसपास से लेकर एप्रोज मार्गों के अंदर गांवों से कॉलोनियां कट गई है। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिससे प्रॉपर्टी बाजार के साथ अर्थव्यवस्था भी तेजी से आगे बढ़ रही है।
पंजीयक कार्यालय के अनुसार पितृ पक्ष के चलते अभी जमीन खरीद-बिक्री के दस्तावेज कम संख्या में आ रहे है। अगले माह अक्टूबर से इसमें तेजी आएगी। पितृपक्ष में लोग नए काम करने से परहेज करते है।
पितृपक्ष मे पूर्वजों को याद करके दान-धर्म करने की परंपरा है। हिंदू धर्म में इन दिनों का खास महत्व है। पितृपक्ष में पितरों की मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं। 18 सितंबर से शुरू हुआ ये पितृपक्ष 2 अक्टूबर तक चलेगा। जिसको लेकर सुबह से शहर के समीप नर्मदा के किनारे लोग पहुंचकर अपने पूर्वजों के लिए धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करवा रहे है।