गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खान प्राणि उद्यान में एक नए मेहमान का नामकरण हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीलीभीत टाइगर रिजर्व से लाए गए विशालकाय बाघ का नाम ‘केसरी’ रखा है। यह वही बाघ है, जो पहले ‘पंपिंग टाइगर’ के नाम से जाना जाता था।
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चार महीने पहले इस बाघ को पीलीभीत टाइगर रिजर्व से रेस्क्यू किया गया था। रेस्क्यू ऑपरेशन इतना चुनौतीपूर्ण था कि 20 से अधिक वनकर्मियों को इसे उठाने में मदद करनी पड़ी। यह बाघ प्राणि उद्यान में मौजूद अन्य बाघों से काफी भारी है। यहां पहले से रह रहे बाघ अमर और बाघिन गीता से इसका वजन 90 किलो ज्यादा है।
23 सितंबर को इसे रेस्क्यू किया गया पिछले साल सितंबर में इस बाघ ने कलीनगर तहसील क्षेत्र के जंगल से सटे गांवों में दहशत फैला रखी थी। रानीगंज से बांसखेड़ा तक के आबादी वाले इलाकों में यह घूमता रहता था। 9 सितंबर को इसने माला रेंज की भैंरों बीट में एक ग्रामीण की जान भी ले ली थी। इसके बाद 23 सितंबर को इसे रेस्क्यू कर लिया गया। पंपिंग सेट के आस-पास घूमने की आदत के कारण इसे ‘पंपिंग टाइगर’ का नाम मिला था।
बाघ की विशाल काया को देखते हुए इसका नाम ‘केसरी’ रखा अब यह बाघ गोरखपुर के प्राणि उद्यान में रहेगा। अपने आक्रामक स्वभाव के कारण इसे वापस पीलीभीत टाइगर रिजर्व नहीं भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथी रेस्क्यू सेंटर के उद्घाटन के दौरान इस बाघ की विशाल काया को देखते हुए इसका नाम ‘केसरी’ रखा।