हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने गुंडे हेमंत यादव की पैरोल निरस्त करते हुए सरेंडर करने के आदेश दिए हैं। सरेंडर नहीं करने पर पुलिस को कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। गुंडे ने हाई कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों में भी बड़ी हेरफेर की है। वर्ष 2019 में गुंडे
.
वर्ष 2000 में पेश की गई इस अर्जी में उसने पिता का नाम रामचंद्र बताया है। हेमंत पिता रामचंद्र के नाम से ही हाई कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की। वहीं इस मामले में समझौता किए जाने को लेकर जो याचिका पेश की गई उसमें पिता का नाम अयोध्या प्रसाद बताया है।
गुंडे द्वारा हाई कोर्ट में पेरोल अवधि बढ़ाए जाने को लेकर अर्जी दायर की थी। पुलिस और प्रस्तावित आपत्तिकर्ता के वकीलों ने पेरोल के आवेदन का इस आधार पर विरोध किया कि वह अस्थायी जमानत का दुरुपयोग कर रहा है।
अस्थायी रिहाई की अवधि के दौरान हेमंत ने अपहरण कर लिया। इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह भी तर्क दिया गया है कि रिट याचिका और सजा के आदेश के खिलाफ आपराधिक अपील में याचिकाकर्ता का विवरण अलग है। याचिका में याचिकाकर्ता ने अपने पिता स्वर्गीय अयोध्या प्रसाद यादव का नाम उल्लेख किया है, जबकि सजा के खिलाफ अपील में अपीलकर्ता के पिता का नाम रमेशचंद्र बताया गया है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया है कि याचिकाकर्ता ने एक याचिका दायर की है। आपराधिक मामले को रद्द करने के लिए आवेदन किया गया है, जिसमें पिता का नाम रमेशचंद्र बताया गया है वह याचिका में गलत विवरण देकर अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है और जानबूझकर मेडिकल पेपर में पिता का नाम नहीं लिखा गया है।
हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता ने पेरोल का दुरुपयोग किया है। पेरोल को तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए सरेंडर करने के आदेश दिए हैं। सरेंडर नहीं करने पर पुलिस को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। आपत्तिकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिल ओझा ने पैरवी की थी।