पुस्तक का विमोचन करते अतिथि एवं समारोह के आयोजक
सामाजिक वैयक्तिक कार्य का अध्ययन और उसकी विवेचना भारतीय मूल्य के आधार पर की जाना चाहिए। सोशल इंजीनियरिंग के बिना सोशल जस्टिस (सामाजिक न्याय) उचित व जरूरतमंद व्यक्ति तक पूरी तरह से नहीं पहुंच सकता है। समाज कार्य प्रशिक्षण को भारतीय संस्कृति पर आधारित
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यह बात पूर्व न्यायाधीश वीडी ज्ञानी ने डॉ. रंजना सहगल द्वारा संपादित पुस्तक सोशल केस वर्क इंडियन पैराडाइम एंड प्रैक्टिस का एक होटल में विमोचन करते हुए कही।
समारोह में उपस्थित प्रबुद्धजन
डॉ. रंजना सहगल ने सामाजिक वैयक्तिक कार्य के भारतीय संदर्भों पर आधारित इस पुस्तक के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा भारत में समाज कार्य के पाठ्यक्रम में सामाजिक वैयक्तिक कार्य 1937 से पश्चिमी देशों की जीवन शैली व पाश्चात्य प्रतिमान और अभ्यास पर आधारित है। किंतु इस अतिविशिष्ट विषय को भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसके भारतीय अन्वेषण और साहित्य के बिना सही रूप से कार्यान्वित नहीं किया जा सकता। इसलिए इस विषय के मूलभूत भारतीयकरण की आवश्यकता है। इस कार्य के लिए एविडेन्स बेस्ड साहित्य आवश्यक है। इस ध्येय को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक की रचना की गई है। डॉ. सहगल ने कहा कि उनकी पुस्तक “सोशल केसवर्क: इंडियन पैराडाइम एंड प्रैक्टिस” समाज कार्य के विद्यार्थियों, स्कॉलर्स व सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा नि:स्वार्थ भाव से समग्र समाज की सेवा करने वाले समाजसेवियों के लिए बहुत ही उपयोगी है। यह पुस्तक केवल भारत के ही नहीं वरन् अन्य देशों में भारतीय मूल्यों एवं संस्कृति के अनुरूप समाज कार्य के प्रतिमानों पर एक स्वस्थ वाद एवं चर्चा को दिशा देने का प्रयास है। डॉ. रंजना सहगल ने बताया यह पुस्तक टुडे एवं टुमारो, दिल्ली द्वारा प्रकाशित की गई है।
अपनी बात रखते हुए जस्टिस वीडी ज्ञानी
कार्यक्रम मे वरिष्ठ अधिवक्ता गिरीश पटवर्धन, एचआर टोटल के निर्देशक प्रमोद जड़िया, एचआर एक्सपर्ट एवं HR कंसलटेंट अनिल मलिक एवं मानव संसाधन से जुड़े हुए इंदौर, देवास, पीथमपुर के 50 प्रोफेशनल्स मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत डॉ. सुरेश सहगल, विजय जैन, कविंद्र होलकर आदि ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप जोशी ने किया। आनंद गौड़ ने आभार माना।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रबुद्धजन