पूर्णिया में बड़े ही धूमधाम से परशुराम जयंती मनाई गई। हर साल की तरह इस साल भी भगवान विष्णु के अवतार प्रभु परशुराम की जयंती को लेकर शहर में सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ शोभा यात्रा निकाली गई। शहर के टाउन हॉल में परशुराम जन्मोत्सव का आयोजन किया गय
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टाउन हॉल में आयोजित जयंती की शुरुआत ब्रह्मशक्ति के सदस्यों ने दीप प्रज्जवलित कर की। इसमें पटना से आए कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। एक से बढ़कर प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों का मन मोह लिया।
ब्रह्मशक्ति के जिलाध्यक्ष अमरनाथ उपाध्याय ने बताया कि भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र परशुराम जी ने ही दिया था। द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण जब शिक्षा ग्रहण करने के बाद परशुराम जी से भेंट करने पहुंचे तो परशुराम जी ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया। जिसके द्वारा करुणावतार में भगवान विष्णु ने अनेकों दुष्टों और दानवों का वध किया। वहीं, रामावतार में परशुराम जी ने भगवान राम को शारंग नाम का धनुष दिया था।
परशुराम जन्मोत्सव का आयोजन स्थानीय टाउन हॉल में हुआ।
परशुराम के गुरु शिव हैं
राजीव राय ने कहा कि परशुराम के गुरु शिव हैं। विश्वामित्र और ऋचीक को भी इनका गुरु कहा गया है। परशुराम जी भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण के गुरु थे। एक बार गणेश जी ने परशुराम जी को भगवान शिव के दर्शन करने से रोक दिया था, तभी क्रोध में आकर परशुराम जी ने अपने परशु से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया था।
तभी से गणेश जी का नाम एकदंत पड़ा।

परशुराम जयंती पर कार्यक्रम में शामिल लोग।