पूर्वी चंपारण के पकड़ीदयाल प्रखंड अंतर्गत धनौजी उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय की स्थिति आज भी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। इंटर कॉलेज का दर्जा मिलने के बावजूद यहां न तो पर्याप्त कमरे हैं, न भवन, न रास्ता और न ही सुरक्षा।
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धनौजी उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय की फोटो
723 छात्र, सिर्फ 6 कमरे, पेड़ के नीचे पढ़ाई
इस स्कूल में 723 छात्र नामांकित हैं, लेकिन सिर्फ 6 कक्षाएं उपलब्ध हैं। प्राथमिक कक्षा के बच्चों को गर्मी और बारिश में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर होना पड़ता है। बरामदा भी बच्चों से पूरी तरह भरा रहता है। ऐसे में शिक्षा का स्तर और बच्चों की रुचि दोनों पर असर पड़ रहा है।

पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते बच्चों की फोटो
प्रधानाध्यापक नीरज कुमार ने बताया कि शिक्षक समर्पित हैं, लेकिन संसाधनों की भारी कमी है। यहां तक कि बीपीएससी से चयनित शिक्षक भी इस स्कूल में कार्यरत हैं, लेकिन जब भवन ही नहीं, तो शिक्षा कैसे दी जाए?
अतिक्रमण और पगडंडी की दोहरी मार
स्कूल की जमीन पर अतिक्रमण ने हालात और भी जटिल कर दिए हैं। पूर्व प्रधानाध्यापक अर्पणा सिन्हा के अनुसार, अगर जमीन कब्जा मुक्त कर दी जाए, तो एक अच्छा भवन और खेल मैदान बनाया जा सकता है।
स्कूल तक पहुंचने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं है। एक संकरी पगडंडी ही एकमात्र रास्ता है, जिस पर बरसात में फिसलकर बच्चे घायल हो जाते हैं। अधिकारियों को भी पैदल चलकर निरीक्षण करना पड़ता है।

टेबल में ब्लैक बोर्ड रखकर बढ़ाती शिक्षिका
बढ़ती संख्या, घटती सुविधा बनी चुनौती
इस स्कूल में बढ़ते छात्रों की संख्या के बावजूद सरकार इस ओर से कोई ठोस पहल नहीं कर रही है। बच्चे, शिक्षक और अभिभावक सब बेहतर व्यवस्था की राह तक रहे हैं। जब सरकार शिक्षा सुधार की बात करती है, तो सवाल उठता है क्या धनौजी जैसे स्कूल इस दावे का हिस्सा नहीं हैं? बच्चों को पेड़ के नीचे बैठाकर ‘बढ़े बिहार’ कैसे होगा?

स्कूल के गलियारों में बच्चों की बैठक व्यवस्था की गई
स्कूल भवन और पक्के रास्ते की मांग
स्थानीय लोगों ने सरकार और प्रशासन से मांग की है कि धनौजी स्कूल को तत्काल भवन, पक्की सड़क और अतिक्रमण से मुक्त जमीन उपलब्ध कराई जाए। ताकि यहां के छात्र भी सम्मानजनक माहौल में शिक्षा प्राप्त कर सकें और ‘पढ़े बिहार, बढ़े बिहार’ का सपना पूरा हो सके।