Monday, June 9, 2025
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पेसा एक्ट-भूमि अधिग्रहण कानून का पालन करे सरकार: गोंड सिंचाई प्रोजेक्ट पर हाईकोर्ट का निर्देश, ग्राम सभा की अनुमति के बिना नहीं बनेगा बांध – Jabalpur News



मध्यप्रदेश के सीधी और सिंगरौली जिले में 1100 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे गोंड सिंचाई प्रोजेक्ट पर हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि उसे अधिसूचित क्षेत्रों में पेसा एक्ट के प्रावधानों का पालन करना ह

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हाईकोर्ट में यह याचिका गोंड बांध से प्रभावित सीधी-सिंगरौली के लोगों ने दायर की थी। जिसमें कहा गया था कि गोंड बांध के निर्माण के लिए हजारों आदिवासियों को उनकी जमीनों से बेदखल किया जा रहा है और इसके लिए पेसा एक्ट और भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा।

हाईकोर्ट चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बैंच ने सुनवाई पर फैसला सुनाते हुए कहा कि सरकार पेसा एक्ट और भूमि अधिग्रहण कानून का पालन किए बिना निर्माण की अधिसूचना जारी नहीं कर सकती। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी यह भी छूट दी है कि अगर सरकार प्रावधानों के खिलाफ काम करती है, तो वो मामले को फिर कोर्ट में उठा सकते हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश शासन के द्वारा सिंगरौली जिला में गोंड वृहद सिचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति करके 34500 हेक्टेयर जिसमे 28000 हेक्टेयर रबी तथा 6500 हेक्टेयर खरीफ क्षमता का डेम जिसमे 1097.67 करोड़ की लागत से सरकार द्वारा बांध बनाने का निर्णय लिया गया है।

याचिकाकर्ता लोलार सिंह की ओर से कोर्ट को बताया गया की भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्विस्थापन उचित प्रतिकर और पारदर्शीता अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 41 तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन बनाम मिनिस्ट्री आफ इनवायरमेंट एंड फारेस्ट के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नोटिफाई ट्राइबल एरिया में ज़मीन अधिग्रहण करने के मार्गदर्शी सिद्धांत रेखांकित किए गए है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित कानून क़ो दरकिनार करने कुशमी जिला सीधी तथा सिंगरौली में उक्त डेम स्वीकृत किया गया है, जबकि स्वीकृत डेम से एक किलोमीटर दूरी पर भुइमांण जलाशय पहले से निर्मित है, ऐसे में अगर नव स्वीकृत डेम के कारण हजारों आदिवासी परिवारों क़ो बेदखल करके उनकी ज़मीन को अधिग्रहण किया जा रहा था।

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट रामेश्वर सिंह ने कोर्ट को यह भी बताया गया कि प्रशासकीय स्वीकृति के पूर्व पेसा कानून के तहत संबंधित ग्राम सभा की स्वीकृति नहीं ली गईं, और न ही भूमि अधिग्रहण एक्ट 2013 की धारा 41 का पालन किया गया। हाईकोर्ट ने मामले पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए जनहित याचिका का पटाक्षेप करते हुए मध्यप्रदेश सरकार क़ो निर्देशित किया है, कि भूअर्जन, पुनर्वासन और पुनर्विस्थापन उचित प्रतिकर औऱ पारदर्शीता अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 41 की कम्प्लाइंस किए बिना अधिसूचना जारी नहीं की जा सकती है।



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