कटिहार में एक महिला का पुलिस अधिकारियों पर लगाया गया रेप का आरोप झूठा साबित हुआ हैं। फलका थाना क्षेत्र की महिला ने थाना प्रभारी और एक अन्य पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए थे।
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नाजिया ने पूर्णिया डीआईजी को दिए आवेदन में फलका थाना प्रभारी मुन्ना पटेल पर छह बार और पुलिस अधिकारी विकास कुमार पर पांच बार बलात्कार का आरोप लगाया था। डीआईजी के निर्देश पर कटिहार एसपी ने महिला पुलिस अधिकारी की अगुआई में जांच टीम गठित की।
जांच में सामने आया कि नाजिया एक जमीन विवाद में एक व्यक्ति से पैसे ऐंठना चाहती थी। जब थाने से मदद नहीं मिली, तो उसने पुलिस अधिकारियों पर ही आरोप लगा दिए। स्थानीय लोगों के अनुसार, नाजिया पहले भी कई लोगों को इसी तरह फंसा चुकी है। एक एलएनटी फाइनेंस कंपनी के मैनेजर और एक वार्ड प्रतिनिधि भी इनके झूठे आरोपों का शिकार हो चुके हैं। दोनों मामलों में नाजिया ने पैसे लेकर मामला रफा-दफा कर दिया था।
महिला ने पुलिसकर्मियों पर झूठा आरोप लगाया।
पुलिस अधिकारियों पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद
इस तरह की हरकतों के कारण स्थानीय लोग नाजिया को ‘श्रीमती 420’ कहने लगे हैं। पुलिस की जांच में साबित हुआ कि पुलिस अधिकारियों पर लगाए गए आरोप पूरी तरह बेबुनियाद थे।इस बार भी लोग नाजिया पर ऐसे ही करने के लिए साजिश रचने की बात कह रहे हैं।
प्रारंभिक जांच के आधार पर सभी आरोप बेबुनियाद लग रहा है और थाना प्रभारी व पुलिस अधिकारी को झूठा आरोप पर फंसाने की हुई है। लेकिन इन सब के बावजूद महिला को उनके आरोपों के साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।

पुलिस पर महिला ने झूठा आरोप लगाया है।
एसपी ने कहा कि पूरे मामले पर गंभीरता से महिला पुलिस पदाधिकारी की उपस्थिति में जांच करवाया गया है। एसपी वैभव शर्मा ने कहा कि अंतिम जिस दिन जिस समय नाजिया थाना प्रभारी पर रेप का आरोप लगा रहे हैं, उस समय फलका थाना प्रभारी मुन्ना पटेल कटिहार एसपी कार्यालय के कक्ष में डीआईजी के मीटिंग में उपस्थित थे। ऐसे में यह आरोप पूरी तरह निराधार लग रहा है।
फिर भी नाजिया को 7 दिन अपने आरोपों के समर्थन में सबूत प्रस्तुत करने के लिए समय दिया गया है। दुष्कर्म जैसे संगीन वारदात में अगर कोई भी आरोपी है तो उसे पर शख्स कार्रवाई होना चाहिए। लेकिन अगर कोई ऐसे संगीन वारदात को रुपया वसूली की जरिया बना ले तो उस पर भी कठोर कार्रवाई होना चाहिए।