Thursday, April 24, 2025
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प्रदेश में 150 निजी संस्कृत स्कूल: मान्यता संस्कृत बोर्ड की, 20 हजार में दे रहे 10वीं-12वीं की अंकसूची – Bhind News



प्रदेश में 150 से ज्यादा निजी संस्कृत स्कूलों में से 50% सिर्फ कागजों में हैं। बड़े मठ, मंदिर और धार्मिक आश्रमों में संचालित आवासीय व गैर-आवासीय विद्यालयों को छोड़ दें तो बाकी धरातल पर नहीं मिलते। भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि प्रदेश में ज्यादातर

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महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान ने प्रदेश में 200 से ज्यादा विद्यालयों को संस्कृत भाषा में पढ़ाई कराने की मान्यता दी है। इनमें से 62 शासकीय हैं, बाकी अशासकीय। भास्कर जब ग्वालियर, चंबल और भोपाल संभाग के निजी संस्कृत स्कूलों में पहुंचा तो कई जगह स्कूल तो मिले, लेकिन वे संस्कृत बोर्ड के नहीं, बल्कि एमपी बोर्ड के निकले। वहां पढ़ाई संस्कृत में नहीं, हिंदी और अंग्रेजी माध्यम में हो रही थी।

भिंड: जहां बताया; वहां स्कूल मिला ही नहीं

भिंड के बीटीआई रोड पर एसबीएम नाम से संस्कृत स्कूल संचालित है। भास्कर जब मौके पर पहुंचा तो वहां एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त एसवीएम स्कूल मिला। शिक्षक रामू दुबे से पूछा कि संस्कृत बोर्ड से 10वीं करनी है, तो उन्होंने फोन पर रवि मोहन शर्मा से बात कराई।

रवि मोहन ने बताया कि एसवीएम संस्कृत विद्यालय वीरेंद्र वाटिका पर चलता है, लेकिन वहां ऐसा कोई विद्यालय नहीं मिला। जब भास्कर ने रवि मोहन से पूछा तो उन्होंने कहा कि मान्यता सरेंडर कर दी है, इसलिए बोर्ड नहीं लगा है।

रायसेन: संचालक बोले बोर्ड लगाना जरूरी नहीं

ताजपुरा रोड पर महाऋषि बिल्डिंग के पास मां जगदंबा संस्कृत विद्यालय संचालित बताया गया, लेकिन मौके पर ऐसा कोई विद्यालय है। जब प्राचार्य राकेश ठाकुर के मोबाइल पर फोन किया तो राजकुमार ठाकुर से बात हुई। उन्होंने बताया कि स्कूल में 15-20 बच्चे हैं। जब पूछा गया कि मौके पर विद्यालय नजर नहीं आ रहा, बोर्ड भी नहीं है, तो उन्होंने कहा कि बोर्ड लगाना जरूरी नहीं। उनके पास विद्यालय के पूरे दस्तावेज हैं। अभी बाहर हैं, आकर दिखा देंगे।

राजगढ़: संस्कृत स्कूल में हिंदी माध्यम से पढ़ाई

जिले के करेड़ी गांव में महादेव संस्कृत पाठशाला है। इसे महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान से कक्षा 1 से 10वीं तक की मान्यता मिली है, लेकिन यहां बच्चे संस्कृत की बजाय हिंदी माध्यम में पढ़ाई करते मिले। महादेव संस्कृत पाठशाला के पास 8वीं तक की एमपी बोर्ड की भी मान्यता है। इस साल 5वीं और 8वीं के बच्चों ने राज्य शिक्षा केंद्र से परीक्षा दी। विद्यालय का प्रबंधन देख रहे राजाराम लववंशी ने बताया कि उनके पास संस्कृत बोर्ड की मान्यता है, लेकिन उसमें कोई बच्चा नहीं है।

^संस्कृत बोर्ड मान्यता के लिए ऑनलाइन आवेदन लेता है। जिला स्तर पर डीईओ एक कमेटी बनाते हैं, जो आवेदन करने वाले स्कूलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देते हैं। उनकी अनुशंसा पर मान्यता दी जाती है। स्कूल धरातल पर नहीं हैं तो ये गंभीर बात है। गलत जानकारी देने वाले डीईओ को नोटिस भी भेजा जाएगा। – डॉ. संचिता जैन, सहायक निदेशक, संबद्धता, महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान



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