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प्रयागराज का प्राचीन श्री मनकामेश्वर मंदिर भारत के अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली शिव मंदिरों में से एक है. यह मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में संगम क्षेत्र के निकट स्थित है. कहा जाता है कि यहां आने वाले श्र…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- प्रयागराज के श्री मनकामेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड लागू होगा.
- महिलाएं साड़ी या सलवार-सूट और पुरुष धोती पहनकर ही पूजा कर सकेंगे.
- सावन के महीने से ड्रेस कोड के नियम लागू होंगे.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अति प्राचीन श्री मनकामेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड लागू होगा, जिसका कड़ाई से पालन कराने के लिए मंदिर समिति ने कदम उठाए हैं. समिति ने मंदिर में पूजा-अर्चना के दौरान स्कर्ट, टॉप, जींस और पैंट पहनने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई है. सावन के महीने की शुरुआत के साथ ही नियम लागू होंगे. इसके तहत महिलाएं पूजा के समय केवल साड़ी या सलवार-सूट पहनेंगी, जबकि पुरुष धोती पहनकर ही पूजा-अर्चना कर सकेंगे. जींस, पैंट, स्कर्ट जैसे आधुनिक कपड़ों को मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के दौरान पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया है.
मंदिर के पुजारी इस कदम का स्वागत कर रहे हैं और मानते हैं कि इससे धार्मिक और वैदिक परंपराओं का सम्मान और पालन होगा. श्री मनकामेश्वर मंदिर के महंत ब्रह्मचारी श्री धरानंदजी महाराज ने कहा कि लोगों को सावन के महीने में ड्रेस कोड अपनाने के लिए मंदिर समिति ने बोला है. उन्होंने कहा कि जब रुद्राभिषेक होता है तो अक्सर देखा गया है कि लोग पैंट पहनकर और बेल्ट लगाकर बैठते हैं. लोग परंपरागत वस्त्र पहनना लगातार छोड़ते जा रहे हैं. कहीं न कहीं परंपराओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
सावन से शुरू होंगे नियम
मंदिर समिति ने फैसला लिया है कि सावन के महीने में जो भी रुद्राभिषेक होंगे, उसमें पुरुषों को धोती पहनना अनिवार्य होगा. महिलाओं को साड़ी या सूट पहनना होगा. कटे-फटे या जो भद्दे कपड़े हैं, इस तरह के पहनावे को लेकर पहले से रोक है. उसके अच्छे परिणाम भी आए. मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इस पहल का स्वागत कर रहे हैं. एक श्रद्धालु ने कहा है कि यह बहुत अच्छी पहल है. आजकल देखते हैं कि कुछ भी पहनकर लोग मंदिर चले जाते हैं, लेकिन मंदिर में ड्रेस कोड से बड़ा अच्छा संदेश जाएगा. यह कोई पिकनिक मनाने की जगह नहीं है.
स्वयंभू है यहां शिवलिंग
मंदिर में स्थित शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः प्रकट) माना जाता है. यहां शिवलिंग के अलावा दक्षिणमुखी मूर्ति भी है. साथ ही भैरव, यक्ष और किन्नर भी विराजमान रहते हैं. मंदिर का स्थान प्रयागराज के तीर्थराज संगम (गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम) से करीब है, जिससे इसकी तीर्थमहिमा और अधिक बढ़ जाती है. इस मंदिर का पुराणों में उल्लेख मिलता है. सालभर यहां पर भगवान शिव के दर्शन के लिए भीड़ रहती है और सावन के महीने में तो दूर दूर से भक्तजन जलाभिषेक के लिए आते हैं.
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प…और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प… और पढ़ें