प्रयागराज2 मिनट पहले
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“आंदोलन के चीरहरण पर जो भी चुप पाए जाएंगे, इतिहासों के कालखंड में सब कायर कहलाएंगे”
प्रयागराज के एलनगंज स्थित उप्र शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के दफ्तर के सड़कों पर गूंजते शिक्षार्थियों के स्वर उन लाखों डीएलएड और बीएड प्रशिक्षित युवाओं की हैं, जो बीते सात वर्षों से शिक्षक भर्ती के इंतजार में उम्र गंवा रहे हैं।
आखिरकार, वर्षों की प्रतीक्षा, वादों और अखबारी सूचनाओं के बाद अब इन छात्रों ने 26 मई से आयोग के दफ्तर के बाहर अपना धारणा का मंच बना लिया है। दो जून की रोटी के लिए स्टूडेट्स का आंदोलन सोमवार को महाधरना के रूप में प्रदर्शन किया जा रहा है।
प्रदर्शन की असल वजह: सात साल का छलावा पूर्व छात्र नेता संदीप विश्वकर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 2018 से लेकर अब तक बार-बार शिक्षक भर्ती की घोषणाएं कीं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हाल ही में सरकार की ओर से एक ट्वीट में दावा किया गया कि 1.3 लाख पदों पर शिक्षकों की भर्ती की जाएगी और यह प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी की जाएगी। अखबारों में यह खबर भी प्रमुखता से प्रकाशित हुई, लेकिन धरातल पर न तो परीक्षा हुई, न ही कोई प्रक्रिया शुरू हुई।



आरोप है कि सरकार सिर्फ “विज्ञापन” देकर उन्हें मूर्ख बना रही है। छात्र नेता उदय सिंह ने कहा, “यह केवल वादों का सिलसिला नहीं, एक साज़िश है जो युवाओं की ज़िंदगी और उनके करियर को निगल रही है।”
धरने की ‘अर्थव्यवस्था’ की जमीनी सच्चाई धरने पर बैठे अधिकांश छात्र ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं, जो सीमित संसाधनों के साथ कोचिंग से पढ़ाई कर अपनी तैयारी करते हैं। अब वे प्रयागराज की सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं, हालत यह है कि न कोई निश्चित आश्रय, न तयशुदा भोजन मिल पा रहा है।
पूर्व छात्र नेता संदीप विश्वकर्मा बताते हैं, “जब बात छात्रों की होती है, तब न कोई पार्टी होती है, न विचारधारा। कोचिंग संस्थान, पुराने छात्र नेता और यहां तक कि स्थानीय दुकानदार भी किसी न किसी रूप में इन छात्रों की मदद कर रहे हैं।”