मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूरों को छत्तीसगढ़ वापस भेजने की तैयारी की जा रही हैं।
शिवपुरी के सिरसौद थाना क्षेत्र के मानिकपुर गांव में प्रशासन ने छत्तीसगढ़ के 8 मजदूरों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त कराया है। इन मजदूरों को बोरवेल मशीन पर काम करने के लिए रखा गया था। उन्हें न तो उचित वेतन दिया जा रहा था और न ही पर्याप्त भोजन। इनमें चार ना
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छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के लेबर इंस्पेक्टर ने शिवपुरी प्रशासन को मजदूरों के बंधुआ बनाए जाने की सूचना दी थी। इसपर कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने एसडीएम उमेश कौरव को तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए। एसडीएम ने पुलिस और लेबर इंस्पेक्टर आशीष तिवारी के साथ मिलकर मानिकपुर गांव स्थित धर्मेंद्र रावत के कृषि फार्म पर छापा मारा। यहां से बंधुआ मजदूरों को मुक्त कराया।
छत्तीसगढ़ से ग्वालियर मजदूरी करने आए थे
मजदूरों ने बताया कि उन्हें छत्तीसगढ़ से ग्वालियर मजदूरी के लिए लाया गया था। यहां ग्वालियर के एक दलाल ने उन्हें बोरवेल मशीन के स्टाफ को सौंप दिया। पहले उन्हें भिंड और ग्वालियर में काम कराया गया और तीन दिन पहले शिवपुरी लाया गया था। मजदूरों को काम के बदले पूरे पैसे नहीं दिए गए और उन्हें पर्याप्त भोजन भी नहीं मिलता था।
नाबालिग भी थे शामिल
जिन बंधुआ मजदूरों को छुड़वाया गया उसमें 4 नाबालिग भी शामिल है। जिनकी उम्र 15 से 16 साल के बीच है। एसडीएम उमेश कौरव ने बताया कि मजदूरों के बयान दर्ज कर लिए है। बयान के आधार पर ठेकेदार और उसके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जा रहा है। प्रशासन मजूदरों को छत्तीसगढ़ लौटने की व्यवस्था कर रही है।
इन्हें कराया गया आजाद
अजीत (16) पिता राजेंद्र, राजू (16) पिता बबलू, राजेश (20) पिता रामौतार, सुंदर सहाय (15) पिता रामौतार, नानसाय (19) पिता माधौ, संतोश (16) पिता हीरा सहाय, कुलदीप (22) पिता रामसूरत, मदन कुमार (32) को रिहा कराया गया।