चंडीगढ़ प्रशासन ने निति आयोग से की अतिरिक्त फडिंग की मांग।
चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रशासन ने नीति आयोग से अतिरिक्त फंडिंग की मांग की है। चूंकि चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर और सभी पार्षद कई बार प्रशासन से फंड देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक समाधान नहीं हुआ है, इसलिए कई विभागों में वेतन देने में भी देरी हो सकती है
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पिछले हफ्ते हुई चर्चाओं के दौरान, प्रशासन ने नगर निगम की उपलब्धियों, विशेष रूप से ठोस कचरा प्रबंधन (सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट) के क्षेत्र में किए गए कार्यों के बारे में बताया और भारत सरकार से वित्त मंत्रालय के माध्यम से अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मांग की।
वेतन में हो सकती है देरी
नगर निगम को वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए प्रशासन से 560 करोड़ रुपये की पूरी ग्रांट-इन-ऐड (जीआईए) राशि मिल चुकी है, जो पूरी तरह खर्च हो चुकी है। अतिरिक्त अनुदान न मिलने के कारण नगर निगम के कई कर्मचारियों के वेतन भुगतान में देरी हो सकती है, जो सामान्यतः महीने के पहले सप्ताह में जारी कर दिया जाता है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, मार्च 10 से 15 के बीच अतिरिक्त फंड मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद वेतन का भुगतान किया जाएगा।
संसदीय समिति की बैठक में रखी मांग
दिल्ली में 21 फरवरी को आयोजित गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की वार्षिक बैठक में भी चंडीगढ़ प्रशासन ने नगर निगम के बजट में वृद्धि की मांग रखी थी। इस बैठक में यूटी के मुख्य सचिव राजीव वर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। बैठक के दौरान नगर निगम की मौजूदा और आगामी वित्तीय जरूरतों की विस्तृत जानकारी समिति के सामने रखी गई। इसमें नगर निगम की आर्थिक स्थिति, उसके द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों और नागरिक सुविधाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई।

नीति आयोग के सामने रखी बात
नीति आयोग की टीम चंडीगढ़ में केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं की प्रगति का आकलन करने आई थी। इस दौरान प्रशासन ने इन योजनाओं की संपूर्ण प्रस्तुति, संबंधित आंकड़ों और दस्तावेजों के साथ दी। वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में नगर निगम की आर्थिक स्थिति और उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया। चंडीगढ़ प्रशासन ने यह तर्क दिया कि नगर निगम की वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण उसे अतिरिक्त वित्तीय सहायता की आवश्यकता है। नीति आयोग के प्रतिनिधियों को नगर निगम के चल रहे विकास कार्यों और आर्थिक तंगी के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।