पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस निर्णय को सही करार दिया, जिसमें फार्मासिस्ट की बहाली के लिए डी फार्मा की डिग्री अनिवार्य किया था। एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने संजीव कुमार मिश्रा और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करने बाद आदेश सुरक्षित
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इन याचिकाओं में राज्य सरकार के उस निर्णय को चुनौती दी गई, जिसमें सरकार ने राज्य में फार्मासिस्टों के बहाली के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी को अनिवार्य योग्यता घोषित कर दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से ये पक्ष प्रस्तुत किया गया कि बी फार्मा और एम फार्मा अधिक योग्यता वाली डिग्रियां है। इसके बावजूद राज्य सरकार फार्मासिस्टों की बहाली में इन्हें शामिल नहीं होने दे रही है।
फार्मासिस्टों और ड्रग इंस्पेक्टरों का संवर्ग और नियमावली अलग बताया था
राज्य सरकार का ये कहना था कि फार्मासिस्टों और ड्रग इंस्पेक्टरों का संवर्ग और नियमावली अलग है। फार्मासिस्टों की बहाली के लिए डी फार्मा बुनियादी योग्यता है। कोर्ट को बताया गया कि बी फार्मा और एम फार्मा निश्चित रूप से बड़ी डिग्रियां हैं, लेकिन फार्मासिस्टों की बहाली के लिए डी फार्मा अनिवार्य योग्यता है।
दिसंबर 2023 के आदेश पर भी कोर्ट ने दी प्रतिक्रिया
कोर्ट को ये भी बताया गया कि दिसंबर 2023 में ये आदेश दिया गया कि बी फार्मा और एम फार्मा डिग्री वाले भी फार्मासिस्टों की बहाली प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं। राज्य सरकार ने अक्टूबर 2024 में ये निर्णय लिया कि राज्य में फार्मासिस्टों की बहाली में उन्हें ही शामिल किया जायेगा, जिनके पास डी फार्मा की योग्यता है।
कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि राज्य में फार्मासिस्टों की बहाली के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी की योग्यता आवश्यक है। हालांकि बी फार्मा और एम फार्मा बड़ी डिग्रियां हैं, लेकिन फार्मासिस्टों की बहाली के लिए डिप्लोमा इन फार्मेसी बुनियादी योग्यता है। कोर्ट ने राज्य सरकार को बड़ी राहत देते हुए डिप्लोमा इन फार्मेसी योग्यता वालों को भी बड़ी राहत दी है। इसके साथ ही सभी याचिकाओं को कोर्ट ने निष्पादित कर दिया।